बिहार में महागठबंधन बनाकर भाजपा को पटकनी देने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुछ ही माह बाद होने जा रहे असम और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में भी भाजपा का हाल बिहार जैसा ही करने का खाका खींचने में जुट गए है।
बिहार में महागठबंधन बनाकर भाजपा को पटकनी देने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुछ ही माह बाद होने जा रहे असम और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में भी भाजपा का हाल बिहार जैसा ही करने का खाका खींचने में जुट गए है।
तीन दिन के दिल्ली प्रवास पर आए नीतीश कुमार ने ज्यादातर समय यही रणनीति बनाने के लिए विभिन्न दलों के नेताओं से मिलने में बिताया। नीतीश ने सोनिया गांधी के अलावा तृणमूल कांग्रेस के सांसदों के साथ भी चर्चा की। नीतीश अब पूरे देश में गैर भाजपा मोर्चा बनाना चाहते हैं।
सूत्रों का कहना है कि नीतीश ने असम के ऑल इंडिया यूनाइटेट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के नेता बदरूद्दीन अहमद से फोन पर लंबी चर्चा की। नीतीश अब अपने कद और सम्पर्कों का इस्तेमाल कर एआईयूडीएफ को कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लडऩे के लिए राजी करने की कोशिश में हैं।
हालांकि असम या पश्चिम बंगाल के चुनाव में जदयू कोई ताकत नहीं है लेकिन नीतीश अपने सम्पर्कों के जरिए विभिन्न दलों को भाजपा के खिलाफ एक मंच पर लाने की रणनीति बना रहे हैं। बिहार चुनाव में नीतीश के प्रमुख रणनीतीकार रहे प्रशांत किशोर भी दिल्ली में यही एजेंडा आगे बढ़ाने में जुटे रहे। किशोर ने सोनिया गांधी, असम गण परिषद के नेता प्रफुल्ल महंत से भी मुलाकात की।
ममता को कांग्रेस के साथ लाने की रणनीति
सूत्रों के अनुसार ममता बनर्जी और कांग्रेस के बीच बढ़ती नजदीकी में भी नीतीश मध्यस्थता की भूमिका निभा रहे हैं। नीतीश चाहते हैं कि ममता और कांग्रेस मिल कर बंगाल का चुनाव लड़ें जिससे भाजपा की बुरी हार तय हो सके।