तीन राज्यों में पार्टी को मिली जीत से इस बार कांग्रेस के कार्यक्रर्ताओं में पहले से ज्यादा जोश है। लखनऊ एयरपोर्ट पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया है। वहीं उनकी इस यात्रा को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से भी जोड़कर देखा जा रहा है। उनके इस दौरे की अहमियत इसलिए भी है कि पिछले कुछ दिनों से कहा जा रहा है कि राहुल गांधी दो लोकसभा सीटों से इस बार चुनाव लड़ सकते हैं। इनमें महाराष्ट्र का नांदेड़ और मध्य प्रदेश से छिंदवाड़ा का नाम शामिल है। लेकिन राहुल गांधी की अतिथि गृह में पार्टी कार्यकर्ताओं व क्षेत्र के लोगों से मुलाकात और जन समस्याओं के सुनवाई, मुसाफिरखाना तहसील का दौरा, नुक्कड़ नाटक जैसे पब्लिक इंटरेक्शन कार्यक्रमों की वजह से भाजपा की नजर उनके इस दौरे पर है। भाजपा नेता उनके राजनीतिक दौरे का राजनीतिक मायने निकालने में जुटी है।
वर्ष 2018 में कांग्रेस की कमान संभालने के बाद राहुल गांधी निरंतर अमेठी का दौरा करते रहे हैं। पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद सबसे पहले जनवरी, 2018 में तीन दिवसीय दौरे पर अमेठी पहुंचे थे। यहां दौरे के आखिरी दिन उन्होंने मां सोनिया गांधी के साथ उनके संसदीय क्षेत्र रायबरेली में भी थोड़ा समय दिया था। लगभग दो माह के अंतराल के बाद वो 4-5 जुलाई, 2018 को यहां आए थे। अमेठी में साल का आखिरी दौरा उन्होंने 24-25 सितम्बर को किया था। वहीं बीते वर्ष स्मृति ईरानी ने कुल 6 दौरा किया। 13-14 अप्रैल को उन्होंने अमेठी का दो दिवसीय दौरा किया था। इसके बाद 1 सितम्बर और 7 सितम्बर को ताबड़तोड़ दो दौरा किया। 19 नवम्बर को केंद्रीय मंत्री और यूपी सरकार के मंत्रियों की टोली लेकर वो अमेठी पहुंची। साल के आखिर में 23 दिसम्बर को उन्होंने एक दिवसीय आखिरी दौरा किया था।
आपको बता दें कि अमेठी गांधी परिवार की परंपरागत संसदीय सीट मानी जाती है। भाजपा ने स्मृति ईरानी को 2014 के आम चुनाव में राहुल के खिलाफ मैदान में उतारा था। इसमें स्मृति को हार का सामना करना पड़ा था। बावजूद इसके उन्होंने अमेठी से नाता नहीं तोड़ा। केंद्र में सरकार बनने के बाद भाजपा ने स्मृति ईरानी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया। स्मृति ईरानी 15 दिन पहले भी यहां पहुंची थीं। इस दौरान उन्होंने 77 करोड़ की योजनाओं की सौगात दी थी।