कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट में लिखा, “श्री मोदी को लगता है कि पूरी दुनिया उन के जैसी ही है। उन्हें लगता है हर किसी की क़ीमत होती है या डराया जा सकता है। वो कभी नहीं समझेंगे कि जो सच के लिए लड़ते हैं, उन्हें ख़रीदा और डराया नहीं जा सकता।”
वहीं, इस संबंध में कांग्रेस पार्टी (Indian National Congress ) द्वारा एक बयान भी जारी किया गया है। इस बयान में कहा गया है कि घबराई हुई मोदी सरकार ( Modi govt ) की इस कायरतापूर्ण कार्रवाई से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और उसका नेतृत्व डरने वाला नहीं है।
इसे लेकर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार से कई सवाल किए। उन्होंने पूछा कि क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को विदेशी स्रोतों, व्यक्तियों, संस्थाओं, संगठनों और सरकारों सहित सभी स्रोतों से मिले दान और प्राप्त राशि की मोदी सरकार जांच करेगी?
सुरजेवाला ने आगे कहा कि भारतीय जनता पार्टी ( Bhartiya Janata Party ) का नेतृत्व उसके गहरे चीनी संबंधों पर पूछे जा रहे सवालों से घबरा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि चीनी संस्थाओं द्वारा प्रधानमंत्री कोष में अस्पष्ट दान और चीनी स्वामित्व वाले व्यवसायों को बढ़ावा देने का सिलसिला जारी है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने बुधवार को एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया है। इसका उद्देश्य राजीव गांधी फाउंडेशन सहित नेहरू-गांधी परिवार से संबंधित तीन ट्रस्टों द्वारा धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) सहित विभिन्न कानूनों के कथित उल्लंघनों की जांच में समन्वय है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने इस संबंध में बताया कि अंतर-मंत्रालयी समिति का नेतृत्व प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक विशेष निदेशक द्वारा किया जाएगा। वहीं, इससे पहले भारत-चीन सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प और वास्तविक नियंत्रण रेखा से सैनिकों को पीछे हटाए जाने की प्रक्रिया पर कांग्रेस नेता पीए चिदंबरम ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, “मैं चीनी सैनिकों द्वारा मुक्त करने और वापस जाने का स्वागत करता हूं। क्या कोई हमें वह स्थान बताएगा, जहां से चीनी सैनिक विस्थापित हुए थे और जिस स्थान पर वे अब हैं।”
इसके बाद उन्होंने ट्वीट किया, “इसी प्रकार वह कौन सी जगह है जहां से भारतीय सैनिकों को विस्थापित किया गया था? क्या कोई भी सेना- चीनी या भारतीय – LAC के एक तरफ से दूसरी तरफ जाती है? इन सवालों का जवाब जरूरी हैं, क्योंकि भारतीय लोग 15 जून को क्या और कहां हुआ, इसका पता लगाने के लिए ट्रेजर हंट पर हैं।”