राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आक्रामक रूख अपना रखा है। यही वजह है कि पीएम के गृह राज्य में अपनी आदम दर्ज कराने के लिए राहुल गांधी ने विशेष योजना बनाई है। राहुल यहां अपने माता-पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए बड़ा दांव खेलने के मूड में है। आपको बता दें कि 2017 के विधासभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी। हालांकि वो भाजपा को सत्ता में वापसी से नहीं रोक पाई थी। विधानसभा चुनावों के दौरान ही राहुल गांधी की अध्यक्ष पद पर ताजपोशी की गई थी।
इसलिए चुना ये रास्ता
राहुल गांधी ने गुजरात में चुनाव प्रचार के लिए पिता राजीव गांधी और मां सोनिया गांधी की रणनीति पर चलने का फैसला किया है। ऐसे इसलिए क्योंकि इंदिरा गांधी के बाद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने साल 1984 और मां सोनियां गांधी ने साल 2004 के आम चुनाव में धर्मपुर के लाल डुंगरी गांव से ही सत्ता हासिल करने के लिए चुनाव प्रचार की शुरुआत की थी। पार्टी का मानना है कि लाल डूंगरी जिसे लाल प्याज भी कहा जात है, देश पर शासन करने के लिए अच्छा शगुन लाता है। दक्षिण गुजरात क्षेत्र के कई गांवों के लोग अभी भी केवल कांग्रेस के हाथ के चुनाव चिन्ह को पहचानते हैं और केवल पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को जानते हैं।
उधर भाजपा के लिए भी ये प्रतिष्ठा का विषय है क्योंकि पीएम मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के गृह राज्य में पार्टी किसी भी तरह का जोखिम उठाने के मूड में नहीं है। यही वजह है कि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव रथ के असर को कम करने के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस को कमान सौंपी गई है।