इस बार हार को जीत में बदलने के लिए किस मुद्दे, नारे और रोडमैप लेकर जनता के बीच में जाएं को लेकर राहुल पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं। लेकिन बैठकों में जब-जब वरिष्ठ नेताओं ने अपनी राय दी, तो राहुल ने दो-टूक कहा कि आप लोग अपनी पसंद या अपनी राय मत बताइए। जनता क्या पसंद कर रही है, क्या चाहती है, वो बताइए। वरना ये बताइए कि 2014 में बुरी तरह क्यों हारे? अभी तक की बैठकों में तय हुआ है कि पार्टी के नेता अब टाउन हॉल, विश्वविद्यालयों, पंचायतों, वगैरह में जाकर युवाओं, किसानों और आम जनता से छोटे-छोटे ग्रुप बनाकर चर्चा करेंगे। इसके बाद जनता की पसंद और राय के मद्देनजर ही पार्टी की रणनीति, नारे और रोडमैप तैयार करेंगे।
पार्टी की पब्लिसिटी कमेटी ने जनता की इच्छा को जानने के लिए एक देशव्यापी सर्वे भी कराया है। इस सर्वे के मुताबिक कई बातें सामने आईं हैं। राफेल में भ्रष्टाचार का मुद्दा भाजपा और प्रधानमंत्री के खिलाफ जा रहा है। बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है। इसके बाद नंबर पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतें और महंगाई का है। नोटबंदी के खिलाफ जनता में नाराजगी है, जो पहले नहीं थी। किसानों