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राहुल बोले- मैंने और बहन ने पिता के हत्‍यारों को माफ कर दिया, पहले से था हत्‍या का अंदेशा

locationनई दिल्लीPublished: Mar 11, 2018 03:22:19 pm

Submitted by:

Dhirendra

पूर्व पीएम राजीव गांधी के हत्‍या के करीब 25 साल बाद राहुल ने कहा कि पिता के हत्‍यारों को पूरी तरह माफ कर दिया।

rahul priyanka
नई दिल्‍ली. कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने इन दिनों सिंगापुर और मलेशिया के दौरे पर हैं। उन्‍होंने सिंगापुर में आईआईएम के एल्युमिनाई कार्यक्रम में कहा कि उन्‍होंने और उनकी बहन ने अपने पिता की हत्या करने वालों को पूरी तरह से माफ कर दिया है। उन्‍होंने कहा कि पिता की हत्‍या के बाद कई सालों तक मैं और मेरी बहन काफी परेशान रहे लेकिन अब हमने परिस्थितियों के साथ तालमेल बिठाकर जीना सीख लिया।
वैचारिक टकरावों ने ली जान
आईआईएम में छात्रों से बातचीत उन्‍होंने कहा कि जब ये घटनाएं हुईं उस समय विचारों, बाहरी ताकतों और आंतरिक कलह को लेकर टकराहट का दौर था। उन्‍होंने प्रभाकरण की हत्‍या का जिक्र करते हुए कहा कि जब मैंने प्रभाकरण को टीवी पर मृत देखा तब मुझे दो बात का अहसास हुआ। एक यह कि उसे मारा क्‍यों गया और दूसरा ये कि अब प्रभाकरण और उसके बच्‍चे का क्‍या होगा। इस बात को लेकर मैं बहुत दुखी भी हुआ। उन्‍होंने कहा कि प्रभाकरण की हत्‍या के बाद उसके बच्चे रो रहे थे। मुझे ये सब सोचकर बहुत दुख हुआ। मैंने पाया कि लोगों से नफरत करना काफी कठिन है। मेरी बहन ने भी ऐसा ही किया। आपको बता दें कि 21 मई, 1991 में तमिलनाडु के श्रीपेरम्बुदूर में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। हत्या लिट्टे की एक सुसाइड बॉम्बर ने की थी।
दादी और पिता की हत्‍या का अंदेशा था
छात्रों से बातचीत के क्रम में राहुल ने इस बात का भी जिक्र किया कि मैं जानता था कि मेरे पिता की मौत हो सकती थी। मैं जानता था कि मेरी दादी की हत्या हो सकती थी। राजनीति में जब आप गलत ताकतों को दबाना चाहते हैं तो उसके खिलाफ कदम उठाते हैं। इन परिस्थितियों में जान को खतरा होता है। इसी बात का उन्‍हें अंदेशा था जो उनकी हत्‍या होने पर सच साबित हुई।
मुश्किल राहों से मैं भी गुजरा हूं
जब छात्रों ने उनसे पूछा कि पीएम के परिवार से जुड़े होने का आपको क्या फायदा मिला, इस पर राहुल ने कहा कि ये इस बात पर निर्भर करता है कि आप सिक्के के कौन से पहलू को फॉलो करते हैं। इसके बावजूद ये सच है कि जहां मैं हूं वहां कई तरह की सुविधाएं हैं। लेकिन ये नहीं कहा जा सकता है कि मैं मुश्किल राहों से नहीं गुजरा। जब 14 साल का था, तब दादी की हत्या हो गई। जिन्होंने मेरी दादी को गोली मारी, मैं उनके साथ बैडमिंटन खेलता था। इसके बाद मेरे पिता की हत्या कर दी गई। बड़े परिवार में जन्‍म लेने की वजह से आप एक खास तरह के माहौल में जीते हैं। सुबह से लेकर रात तक आप 15 लोगों से घिरे होते हैं। मुझे नहीं लगता कि ये सुविधाएं हैं क्‍योंकि इन सबसे सामंजस्य बैठाने में मुश्किल आती है।
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