scriptफिल्‍मी स्क्रिप्‍ट जैसा रहा राहुल का भाषण, लोकसभा में गंभीर मुद्दे उठाए पर दर्ज नहीं करा पाए | Rahul speech like a film script could not recorded as serious politici | Patrika News

फिल्‍मी स्क्रिप्‍ट जैसा रहा राहुल का भाषण, लोकसभा में गंभीर मुद्दे उठाए पर दर्ज नहीं करा पाए

Published: Jul 20, 2018 03:14:39 pm

Submitted by:

Dhirendra

राफेल डील पर फ्रांस के राष्‍ट्रपति मिलने और इस डील को फर्जी डील बताकर उन्‍होंने सबको चौका दिया।

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फिल्‍मी स्क्रिप्‍ट जैसा रहा राहुल का भाषण, लोकसभा में गंभीर मुद्दे उठाए पर दर्ज नहीं करा पाए

नई दिल्‍ली। अविश्‍वास प्रस्‍ताव के दौरान लोकसभा में राहुल गांधी का भाषण का एक अलग ही अंदाज देखने को मिला। उन्‍होंने अपने भाषण की शुरुआत मोदी सरकार पर आक्रामक हमले से की लेकिन भाषण समाप्‍त करने के बाद जिस तरह से वो पीएम मोदी से गले मिले उसे देखकर सभी को फिल्‍म मुन्‍ना भाई एमबीबीएस का ‘जादू की झप्‍पी’ याद आ गया होगा। उनके इसी अंदाज ने संसद में उठाए गए दमदार मुद्दों को भी असरहीन बना दिया।
राफेल को बताया सिक्रेट पैक्‍ट…
उन्‍होंने अपने भाषण के दौरान पीएम मोदी को 2014 के वादों को याद दिलाया। उन्‍होंने कहा कि लगता है मोदी सरकार युवाओं को रोजगार देने, देश का प्रधानसेवक बनने, सबसे बड़ा चौकीदार बनने, महिलाओं की सुरक्षा मुहैया कराने, 15 लाख रुपए सभी के एकाउंट में पहुंचाने जैसे अहम वादों को याद दिलाया। उन्‍होंने पीएम मोदी को प्रधानसेवक के बदले प्रधान भागीदार बता दिया। ये सभी मुद्दे लोकसभा चुनावों के लिहाज से गंभीर मुद्दे हैं। राफेल डील पर तो उन्‍होंने फ्रांस के राष्‍ट्रपति मिलने और इस डील फर्जी डील बताकर सबको चौका दिया। लेकिन कुछ देर में उनका उछलकर पीएम के पास तक जाना और गले मिलना ये साबित कर गया कि राहुल अभी भी अनुभवहीन राजनेता हैं। वो ये समझ नहीं पा रहे हैं कि कांग्रेस जैसे नेता को अविश्‍वास जैसे मौके पर किस तरह से सदन में पेश आना चाहिए। यही कारण है कि उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों को कोई गंभीरता से नहीं लेगा बल्कि भाजपा लोकसभा चुनावों के दौरान इसका जिक्र कर लाभ उठाने की कोशिश करेगी।
मेरे अंदर आपके लिए नफरत नहीं है
अपने भाषण के दौरान उन्‍होंने कांग्रेस की सबको साथ लेकर चलने की परिपाटी की भी याद दिलाई। उन्‍होंने सहिष्‍णुता और असहिष्‍णुता के मुद्दे को उछालते हुए कहा‍ कि आप लोगों के अंदर मेरे लिए नफरत है। आप मुझे पप्‍पू और बहुत गालियां देकर बुला सकते हैं लेकिन मेरे अंदर आपके लिए नफरत नहीं है। उनका यह बयान उनकी साफगोई को दर्शाता है, लेकिन इसका दूसरा मतलब यह भी है कि कब और क्‍या बोलना चाहिए ये राहुल गांधी अभी तक सीख नहीं पाए हैं।

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