Patrika Exclusive: राजस्थान में सियासी संकट दूर करने के लिए कांग्रेस चल सकती है ‘इक्का’ कांग्रेस ने पहले उनके गुट के बागी विधायकों में सेंध लगाई। पायलट के साथ के तीन से चार विधायक दोबारा गहलोत गुट के संपर्क में आ चुके थे। ये पहले से ही भाजपा के साथ जाने के पक्ष में नहीं थे। अब इनका दबाव और बढ़ गया था।
रविवार को ही बन गई सहमति ऐसे में पायलट रविवार को कांग्रेस नेताओं से बातचीत के लिए तैयार हो गए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और केसी वेणुगोपाल के साथ इनकी बातचीत हुई। इस दौरान पायलट ने सिर्फ अपनी पुरानी शिकायतें रखीं और अपना दर्द रखा। मुख्यमंत्री बनाने की मांग एक बार भी नहीं उठाई। पायलट को पटरी पर आता देख अगली दोपहर यानी सोमवार को राहुल गांधी से मुलाकात के लिए इनको बुला लिया गया।
राहुल और प्रियंका हुए भावुक अपने पिता राजेश पायलट की राजीव गांधी से करीबी की वजह से पूरे परिवार के नजदीकी रहे सचिन की वापसी के लिए हुई बैठक बहुत भावुक रही। सचिन की खुली बगावत के बाद से राहुल ने पुराने रिश्तों और भावनाओं को पीछे रख दिया था। मुख्यमंत्री बनाने की पायलट की शर्त पर बातचीत से पूरी तरह इनकार कर दिया था।
लेकिन सोमवार की मुलाकात बेहद भावुक और लंबी रही। राहुल ने उन्हें पूरा भरोसा दिलाया कि उनकी प्रतिष्ठा को ठेस नहीं पहुंचने दी जाएगी। हालांकि मुख्यमंत्री पद को ले कर दोनों में से किसी पक्ष ने कुछ नहीं कहा है। खास बात है कि लगभग एक महीने की इस अवधि में गांधी परिवार और सचिन पायलट ने एक-दूसरे के खिलाफ कभी कुछ नहीं कहा।
पूरी गोपनीयता बरती गई सोमवार की राहुल गांधी से पायलट की मुलाकात की खबर इस बार कांग्रेस के भी बहुत कम नेताओं को ही थी। पार्टी में सचिन के करीबी माने जाने वाले एक नेता ने इस संबंध में पूछे जाने पर कहा कि उन्हें इस बारे में तभी पता चला जब मुलाकात के बाद उनकी बातचीत पायलट से हुई। इस दरमियान पायलट से एक बार बात कर चुके पी. चिदंबरम ने भी कहा कि उन्हें इस बारे में कोई खबर नहीं।
फिर अहम रहे अहमद पटेल पायलट की सुरक्षित घर वापसी में प्रियंका गांधी और अहमद पटेल की अहम भूमिका रही। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी इस मामले में पटेल ने ही राजी किया। इससे पहले 2017 के गुजरात के राज्य सभा चुनाव सहित कई ऐसे मामलों में पटेल अहम भूमिका निभा चुके हैं।
राजस्थान में छाए सियासी संकट को लेकर इतना सन्नाटा क्यों है भाई! भाजपा का ध्यान कहीं और था भाजपा की ओर से मामले को संभाल रहे नेताओं का ध्यान इन दिनों पायलट गुट से काफी हद तक हट गया था। चूंकि वे दिल्ली और इससे सटे भाजपा शासित हरियाणा में ही टिके थे, इसलिए वे इधर से पूरी तरह निश्चिंत हो गए थे। भाजपा का ध्यान अपने विधायकों को गुजरात भेजने और बचाने पर था। साथ ही पार्टी वसुंधरा राजे के तेवर से भी निपट रही थी।