राजनीति

Rajya Sabha Election : एमपी सियासी संकट के बीच गुजरात में भी कांग्रेस को पटखनी देगी भाजपा?

— मध्यप्रदेश में इस्तीफों के बाद अब गुजरात में शुरू हुए इस्तीफे, अब तक चार ने दिए— मध्यप्रदेश और गुजरात से राज्यसभा की पांच सीटों पर जीत दर्ज करने की कोशिश में भाजपा
 

Mar 16, 2020 / 02:35 pm

shailendra tiwari

नई दिल्ली.
मध्यप्रदेश के सियासी संकट का अभी कोई हल नजर नहीं आ रहा है। कांग्रेस आलाकमान उसका समाधान खोजने में जुटा हुआ है। इन सबके बीच में गुजरात कांग्रेस के भीतर भी बगावत शुरू हो गई है। इस सियासी खेल में दांव पर राज्यसभा की सीटें हैं। यही वजह है कि भाजपा ने मध्यप्रदेश के बाद गुजरात में भी राजनीतिक सेंधमारी शुरू कर दी है। भाजपा की कोशिश है कि वह मध्यप्रदेश और गुजरात दोनों ही राज्यों में एक—एक अतिरिक्त सीट पर जीत दर्ज करे। इसके लिए उसने पहले ही अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतार दिया है। कुल मिलाकर भाजपा इन दोनों राज्यों से पांच सीटें जीतने की कोशिश कर रही है। जबकि कांग्रेस के लिए इसे झटके के तौर पर देखा जा रहा है कि आखिर वह कैसे अपनी उन दो सीटों को बचाए, जिनकी जीत के करीब वह है।
मध्यप्रदेश में दो सीटें जीतने की कोशिश

दरअसल, भाजपा ने राज्यसभा चुनावों में अपनी ज्यादा से ज्यादा सीटें सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस के भीतर सेंधमारी शुरू कर दी है। पहले मध्यप्रदेश में उसे एक सीट का नुकसान हो रहा था। भाजपा को यहां पर तीन में से सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल हो रही थी। ऐसे में उसने कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को अपने खेमे में लाकर अपनी दो सीटों पर जीत की तैयारी कर ली है। भाजपा ने दो सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। जबकि कांग्रेस ने भी दो सीटों पर दावेदारी की है।
सिंधिया के भाजपा में आने से पहले तक कांग्रेस दो सीटें जीत रही थी। लेकिन अब अगर कांग्रेस के 22 विधायक राज्यसभा चुनावों के मतदान में भाग नहीं लेते हैं तो फिर भाजपा के उम्मीदवार को जीत हासिल होगी। हालांकि छह विधायकों की विधायकी खत्म हो गई है। ऐसे में अब भाजपा को सिर्फ 16 विधायकों को रोकना है। जबकि कांग्रेस की कोशिश है कि इन 16 विधायकों से कांग्रेस के पक्ष में मतदान कराया जाए। हालांकि इसको लेकर अभी तक संशय बना हुआ है।
ये है मध्यप्रदेश का नंबर गेम

राज्यसभा चुनावों के समय विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 228 थी। जिसमें दो सीटें खाली हैं। छह विधायकों के इस्तीफे मंजूर हो गए हैं। ऐसे में सदस्य संख्या 222 रह गई है। ऐसे में सीट जीतने के लिए 74 विधायकों की जरूरत होगी। पहली सीट पर दोनों के पास 74 विधायक हैं। ऐसे में दोनों पार्टियां एक—एक सीट जीत जाएंगी। उसके बाद भाजपा के पास 33 विधायक बचेंगे। जबकि कांग्रेस के पास भी 33 विधायक बचेंगे।
कांग्रेस को उम्मीद है कि राज्यसभा में उन्हें सपा—बसपा के साथ निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिलेगा। ऐसे में उनका नंबर 40 हो जाएगा। हालांकि कांग्रेस के लिए एक संकट खड़ा हुआ है कि अगर उनके 16 विधायक सदन में नहीं आए तो उसे अन्य के समर्थन के बाद भी हार का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि उनके पास नंबर सिर्फ 24 रह जाएगा। ऐसे में तीसरी सीट पर जीत भाजपा के खाते में आएगी। यही भाजपा का पूरा गेमप्लान है।
गुजरात में तीसरी सीट पर भाजपा की नजर

वहीं गुजरात में भी भाजपा ने तीसरी सीट के लिए अपनी दावेदारी मजबूत कर दी है। कांग्रेस के चार विधायकों ने अब तक इस्तीफा दे दिया है। इनके इस्तीफों को सोमवार को मंजूरी मिल सकती है। उसके बाद कांग्रेस को एक बड़ा झटका लग सकता है। भाजपा ने गुजरात में तीन सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। इनमें अभय भारद्वाज, रमीला बारा, नरहरि अमीन को मैदान में उतारा है। अभी तक भाजपा दो सीटों पर सीधे जीत हासिल कर रही है और कांग्रेस दो सीटों पर अपने उम्मीदवारों को जिताने की तैयारी में जुटी हुई है। लेकिन जिस तरह से कांग्रेस के भीतर इस्तीफों का दौर शुरू हुआ है, उसके बाद कांग्रेस को झटका लगना शुरू हो गया है। गुजरात भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने दावा किया है कि वह तीन सीटों पर जीत दर्ज करेंगे।
ये है गुजरात में नंबर गेम का खेल

अगर गुजरात के नंबर गेम की बात करें तो यहां पर 182 सीटें हैं। कांग्रेस के इन चार इस्तीफों के बाद यहां पर खाली सीटों की संख्या छह हो गई है। अब विधानसभा में विधायकों की संख्या 176 रह गई है। यहां पर पांच सीटें हैं और जीतने के लिए प्रति सीट 36 विधायकों की जरूरत होगी। भाजपा के पास कुल 103 विधायक हैं और उसके तीन सीटें जीतने के लिए 108 विधायकों की जरूरत है।
जबकि कांग्रेस के पास इन इस्तीफों के बाद नंबर सिर्फ 69 रह गया है। अब अगर वह दो सीटें जीतना चाहती है तो उसे 72 विधायकों का समर्थन चाहिए। जबकि विधानसभा में अन्य के तौर पर चार सीट हैं। जिनमें एक सीट पर एनसीपी और दो भारतीय ट्राइबल पार्टी है जो भाजपा को समर्थन दे रही है। जबकि एक निर्दलीय विधायक के तौर पर जिग्नेश मेवानी हैं, जिन्होंने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया है। ऐसे में यहां पर कांग्रेस पूरी ताकत लगाने के बाद 70 सीटों पर सिमट गई है। जबकि भाजपा 106 के पास है। कुल मिलाकर तीसरी सीट पर जीत दर्ज करने के करीब है।

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