4 साल में BJP को मिले 705 करोड़ रुपए
राजनीतिक पारदर्शिता के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन एडीआर ने एक रिपोर्ट जारी कर पार्टियों के चुनावी फंडिंग की पोल खोल दी है। इसके मुताबिक 2012-13 से 2015-16 की चार साल की अवधि में भाजपा और कांग्रेस सहित पांच राजनीतिक दलों को कॉरपोरेट कंपनियों से 956.77 करोड़ का रुपये का चंदा पाया। इस अवधि में कारपोरेट ने सबसे ज्यादा चंदा भाजपा को दिया। पार्टी को 2987 कारोपरेट दानकर्ताओं ने 705.81 करोड़ रुपये दिए।
राजनीतिक पारदर्शिता के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन एडीआर ने एक रिपोर्ट जारी कर पार्टियों के चुनावी फंडिंग की पोल खोल दी है। इसके मुताबिक 2012-13 से 2015-16 की चार साल की अवधि में भाजपा और कांग्रेस सहित पांच राजनीतिक दलों को कॉरपोरेट कंपनियों से 956.77 करोड़ का रुपये का चंदा पाया। इस अवधि में कारपोरेट ने सबसे ज्यादा चंदा भाजपा को दिया। पार्टी को 2987 कारोपरेट दानकर्ताओं ने 705.81 करोड़ रुपये दिए।
कांग्रेस को 196 करोड़ का चुनावी चंदा
जबकि देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पाटी कांग्रेस को 167 दानकर्ताओं से सिर्फ 198.16 करोड़ रुपये का ही चंदा मिला। इन पार्टियों को सबसे ज्यादा चंदा वर्ष 2014-15 में मिला, जब लोकसभा के चुनाव हुए थे। चार साल के कुल कॉरपोरेट चंदे की 60 फीसदी राशि इसी एक साल में मिली।
बीजेपी पर कॉरपोरेट घराने ने बरसाए पैसा
एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक इस अवधि में भाजपा को 92 फीसदी दान कॉरपोरेट या व्यापारिक घरानों से हासिल हुआ। जबकि कांग्रेस को 85 फीसदी का दान कॉरपोरेट घरानों से है। कॉरपोरेट घरानों ने सबसे कम योगदान सीपीआई और सीपीएम को दिया है। सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट तीनों राष्ट्रीय दलों का सबसे शीर्ष दानदाता है। इस घराने ने कुल 261 करोड़ रुपये भाजपा, कांग्रेस और एनसीपी को दिया है। इस कॉरपोरेट समूह ने भाजपा को 194 और कांग्रेस को 57 करोड़ रुपये दिए। इसके बाद जनरल इलेक्टोरेल ट्रस्ट ने राजनीतिक दलों को सबसे ज्यादा दान दिया है।
जबकि देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पाटी कांग्रेस को 167 दानकर्ताओं से सिर्फ 198.16 करोड़ रुपये का ही चंदा मिला। इन पार्टियों को सबसे ज्यादा चंदा वर्ष 2014-15 में मिला, जब लोकसभा के चुनाव हुए थे। चार साल के कुल कॉरपोरेट चंदे की 60 फीसदी राशि इसी एक साल में मिली।
बीजेपी पर कॉरपोरेट घराने ने बरसाए पैसा
एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक इस अवधि में भाजपा को 92 फीसदी दान कॉरपोरेट या व्यापारिक घरानों से हासिल हुआ। जबकि कांग्रेस को 85 फीसदी का दान कॉरपोरेट घरानों से है। कॉरपोरेट घरानों ने सबसे कम योगदान सीपीआई और सीपीएम को दिया है। सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट तीनों राष्ट्रीय दलों का सबसे शीर्ष दानदाता है। इस घराने ने कुल 261 करोड़ रुपये भाजपा, कांग्रेस और एनसीपी को दिया है। इस कॉरपोरेट समूह ने भाजपा को 194 और कांग्रेस को 57 करोड़ रुपये दिए। इसके बाद जनरल इलेक्टोरेल ट्रस्ट ने राजनीतिक दलों को सबसे ज्यादा दान दिया है।
यहां भी बीजेपी आगे है
इस रिपोर्ट के मुताबिक 806 करोड़ रुपये के दान ऐसे हैं जिनमें भुगतान की प्रक्रिया ही नहीं दी गई है। खास बात है कि अपने हर काम-काज का बारीक हिसाब रखने वाले कारपोरेट चुनावी पार्टियों को देने वाले दान का ही हिसाब नहीं रख पाए। कारपोरेट ने जितनी रकम दान की उसका 84 फीसदी हिस्सा ऐसा है जिसमें प्रक्रिया घोषित ही नहीं। इनमें भी सबसे ज्यादा 661 करोड़ रुपये के दान भाजपा को ही मिला है। वहीं कांग्रेस को इस तरह के 140 करोड़ रुपये के दान मिले हैं।
पैन कार्ड का ब्योरा क्यों जरूरी
राजनीतिक चंदे के लिए पार्टियों को जो फार्म 24 ए भरना होता है, उसमें पैन कार्ड का भी कॉलम शामिल है। यह फार्म चुनाव आयोग ने निर्धारित किया है। राजनीतिक पारदर्शिता के लिए काम करने वाले एडीआर का कहना है कि इसका एक भी कॉलम खाली नहीं रहना चाहिए। इससे पहले 2013 के निर्देश में सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि उम्मीदवारों को अपने शपथपत्र में कोई भी कॉलम खाली नहीं छोड़ सकता। एडीआर का कहना है कि यही फार्मूला यहां भी लागू होना चाहिए।