राजनीति

RTI संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश, 224 पक्ष में तो विरोध में 9 वोट

शुक्रवार को LokSabha में पेश हुआ RTI Amendment Bill 2019
Asaduddin Owaisi और Adhir Ranjan Chowdhury ने बिल का किया विरोध
विधेयक के पक्ष में 224 और विरोध में पड़े 9 वोट

Jul 19, 2019 / 03:42 pm

Shivani Singh

नई दिल्ली। सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक 2019 ( RTI Amendment Bill 2019 ) शुक्रवार को लोकसभा में पेश किया गया। बिल को पेश करते ही इसका विरोध शुरू हो गया। कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ( adhir ranjan chowdhury ) , शशि थरूर, तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय और AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस बिला का विरोध किया। इस दौरान मोदी सरकार की ओर से जवाब भी दिया गया।

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क्या कहा ओवैसी ने

असदुद्दीन ओवैसी ( Asaduddin Owaisi ) ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि इसमें संशोधन करना सही नहीं। AIMIM प्रमुख ने मांग करते हुए कहा कि विधेयक पेश करने के लिए मतदान कराया जाए।

ओवैसी की मांग पर बिल पर सदन में मतदान हुआ। इसमें विधेयक के पक्ष में 224 और विरोध में 9 मत पड़े। इसके बाद बिल को संसद में पेश किया गया।

आपत्तियां बाद में कराए दर्ज

वहीं, इससे पहले सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ( Jitendra Singh ) ने कहा कि पहले बिल पर चर्चा तो की जाए। पेश होने से पहले ही उसका विरोध किया जा रहा है और निष्कर्ष दिए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि बिल सदन में पेश हो जाए। उसके बाद इस पर चर्चा होगी और उसमें अपनी आपत्तियां दर्ज कराइएगा।

jitendra singh
जल्दबाजी में किया गया था लागू

RTI Amendment Bill 2019 के बारे में बोलते हुए जितेंद्र सिंह ने कहा कि वर्तमान RTI एक्ट में नियम बनाने के प्रावधान नहीं हैं। अब हम ऐसा करने जा रहे हैं।

बीजेपी नेता ने कहा कि पहले यह बिल जल्दबाजी में लागू किया गया था और नियम तक नहीं बनाए गए थे। लेकिन अब इस बिल में संसोधन कर हम इसे संस्थागत बनाने की तरफ काम कर रहे हैं।

समाप्त हो जाएंगे सूचना आयोग के अधिकार

adhir ranjan

कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी और शशि थरूर ने बिल पर चर्चा के दौरान कहा कि संशोधन के बाद सूचना आयोग की स्वायत्तता और उसके अधिकार समाप्त हो जायेंगे।

बता दें कि इस संशोधित विधेयक में सरकार को केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों के लिए कानून बनाने का अधिकार दिया गया है।

क्या है सूचना का अधिकार

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सूचना का अधिकार देश के हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। देश का हर नागरिक, सरकार या कुछ मामलों में निजी संस्थाओं तक से सूचनाएं मांगने के निवेदन करने का अधिकार रखता है।

वहीं, सरकार का भी कर्तव्य है कि वह निवेदित सूचनाओं को उपलब्ध कराए, बशर्ते उन सूचनाओं को सार्वजनिक न करने वाली सूचनाओं की श्रेणी में न रखा गया हो।

भारतीय संविधान विशिष्ट रूप से सूचना के अधिकार कानून का उल्लेख नहीं करता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने काफी पहले ही इसे एक ऐसे मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दे दी थी जो लोकतांत्रिक कार्य संचालन के लिए जरूरी है।

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