‘सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना’
भाजपा नेता ने कहा कि केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना की है। भाजपा नेता ने कहा कि केजरीवाल पहले जिनके खिलाफ थे अब उनके साथ हैं। केजरीवाल लोकतंत्र के खिलाफ काम कर रहे हैं। आपको बता दें कि इससे पहले सीएम केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में कानूनी लड़ाई लड़ने का ऐलान किया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रेस वार्ता का आयोजन कर सीएम केजरीवाल ने कहा कि कोर्ट ने दिल्ली में सारी शक्तियां विपक्षी पार्टी को दे दी हैं। जबकि हमें रोज लड़-लड़ कर काम करना पड़ता है। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना चाहिए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दिल्ली की जनता और जनतंत्र के खिलाफ बताया। केजरीवाल ने कहा कि इस विवाद का समाधान दिल्ली की जनता ही करेगी।
लगातार परेशान हो रही है जनता: शीला दीक्षित
वहीं इससे पहले शीला दीक्षित ने चार साल से चल रहे इस विवाद का हवाला देते हुए सरकार के कामकाज पर सवाल खड़ा कर दिया था। शीला दीक्षित इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि चार साल से जारी इस लड़ाई का कोई नतीजा नहीं निकला है। दिल्ली की पूर्व सीएम का कहना है कि दोनों के बीच चल रहे इस विवाद के चलते लगातार राज्य की जनता परेशान हो रही है। यही नहीं उन्होंने केजरीवाल सरकार के चार साल पूरे होने पर बात करते हुए कहा कि इन वर्षों को बर्बादी का इतिहास बताया है। शीला ने एक-एक करके कई कारण गिनाकर अपने बात को समर्थन देने की कोशिश की। उनका कहना है कि दिल्ली प्रदूषण के कारण गैस चैंबर में तब्दील हो चुकी है। साथ ही सरकारी स्कूलों में कोई बच्चा पढ़ने को तैयार नहीं हैं और बढ़ते बिजली बिल के कारण लोग भी परेशान है। शीला ने पेयजल और सीवर की समस्याओं पर का हवाला देते हुए ये भी कहा कि राज्य की अनधिकृत कॉलोनियों में इस कार्यकाल के अंतर्गत विकास कार्य ठप हैं। इस मौके पर उन्होंने मेट्रो फेज-4 की धीमी रफ्तार का भी जिक्र किया।
कोर्ट का फैसला
एलजी बनाम सीएम विवाद मसले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। शीर्ष अदालत ने कुछ मुद्दों पर अपनी राय स्पष्ट कर दी है लेकिन दिल्ली सरकार के पास प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति और ट्रांसफर का अधिकार होना चाहिए, पर जस्टिस सीकरी और जस्टिस भूषण की अलग-अलग राय है। जस्टिस सीकरी ने कहा कि संयुक्त्ा सचिव, सचिव, और उससे ऊपर की रैंक के अधिकारियों की नियुक्ति और ट्रांसफर का अधिकार एलजी के पास होना चाहिए। वहीं अन्य अधिकारियों पर दिल्ली सरकार फैसला ले सकती है। इस मसले पर जस्टिस भूषण का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति और ट्रांसफर के अधिकार दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। मतभेद की वजह से इस मसले को तीन जजों की बेंच के पास भेजा जाएगा।