मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के वकील दुष्यंत दवे ने कहा है कि उन्होंने एसबीआई प्रबंधन के शीर्ष अधिकारी से मिलकर यह बताया था कि विजय माल्या भारत से भाग सकता है। एसबीआई के वरिष्ठ अधिकारी से उनकी मुलाकात रविवार यानी 28 फरवरी, 2016 को हुई थी। दवे का कहना है कि उन्होंने एसबीआई को माल्या का पासपोर्ट रद्द करने की सलाह दी थी। एसबीआई से कहा था कि माल्या को रोकने के लिए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दरवाजा खटखटाया जा सकता है। इसके अलावा दवे ने बताया कि एसबीआई अध्यक्ष और कई शीर्ष अधिकारी इस बैठक और उनके द्वारा दी गई इस सलाह के बारे में जानते थे। लेकिन इस पर एसबीआई ने कोई कार्रवाई नहीं की। सलाह के अनुरूप चार दिन बाद माल्या ने देश छोड़ भाग गया।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील दवे ने कहा कि एसबीआई के कानूनी सलाहकार एसबीआई के चार शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक के लिए आए थे। बैठक में इस बात पर सहमति हुई कि विजय माल्या को देश छोड़ने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट से आदेश लेने के लिए सोमवार सुबह मिलेंगे। लेकिन एसबीआई के अधिकारी सोमवार नहीं आए। जब विजय माल्या देश से फरार हो गया तो एसबीआई के नेतृत्व वाले 17 बैंकों ने पांच मार्च को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील के दावे पर एसबीआई के एक प्रवक्ता ने कहा है कि किंगफिशर एयरलाइंस समेत लोन के सभी डिफॉल्ट मामलों से निपटने में बैंक या किसी अधिकारी द्वारा लापरवाही बरती नहीं गई है। अगर ऐसा हुआ है तो इस पर उचित कार्रवाई होगी। जबकि एसबीआई की तत्कालीन अध्यक्ष अरुंधती भट्टाचार्य ने मीडिया से बातचीत में बताया कि दवे कह सकते हैं जो भी उन्हें कहना है। मैं, अब एसबीआई की अध्यक्ष नहीं हूं। आप वर्तमान एसबीआई प्रबंधन से इस बारे में जानकारी के लिए संपर्क कर सकते हैं।
वहीं विजय माल्या और अरुण जेटली मुलाकात तूल पकड़ने के बाद सीबीआई ने गुरुवार को बयान जारी कर बताया कि विजय माल्या के खिलाफ 2015 के लुकआउट सर्कुलर में बदलाव करना ‘एरर ऑफ जजमेंट’ था। उस समय सीबीआई ने नोटिस को हिरासत से बदलकर उनके आवागमन के बारे में केवल सूचना देने तक सीमित कर दिया था। उस वक्त माल्या जांच में सहयोग कर रहे थे और उनके खिलाफ कोई वारंट नहीं था। बता दें कि सीबीआई ने माल्या के खिलाफ पहला लुकआउट सर्कुलर 12 अक्तूबर, 2015 को जारी किया था। माल्या उस समय विदेश में थे।