देशद्रोह विवाद: जुर्माने की राशि जमा न करने पर उमर खालिद की पीएचडी थीसिस स्वीकार करने से जेएनयू का इनकार
जेएनयू की अपील समिति ने कन्हैया कुमार और उमर खालिद सहित अन्यों पर भारत विरोधी नारे लगाने के आरोप में जुर्माना लगाया था।

नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन ने सोमवार को उमर खालिद की पीएचडी थीसिस जमा करने से इनकार कर दिया। कल पीएचडी और एमफिल थीसिस जमा करने का आखिरी दिन था। उमर के लिए यह आखिरी मौका भी था, क्योंकि यह उनका अंतिम सेमेस्टर है। बता दें कि 9 फरवरी, 2016 को जेएनयू कैंपस में भारत विरोधी नारे लगाने पर जूएनयू अपील समिति ने कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अन्यों पर जुर्माना लगाया था। इन छात्रों ने जुर्माने की राशि जमा करने से इनकार कर दिया था।
कन्हैया को थीसिस जमा करने की छूट
हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने देश विरोधी नारे मामले से कन्हैया कुमार के केस अलग कर दिया था। साथ ही इस मामले के जेएनयू प्रशासन के आदेश को गैर कानूनी, अविवेकी तर्कहीन और प्रक्रियागत स्तर पर अप्रसांगिक करार दिया था। यही कारण है कि कन्हैया कुमार को सोमवार को थीसिस जमा करने की इजाजत कोर्ट के आदेशों की अनुरूप दी गई।
16 अगस्त तक है कार्रवाई पर रोक
उमर के मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल कर रहे हैं। मृदुल की अदालत में खालिद मामले की सुनवाई 16 अगस्त को है। अदालत ने खालिद में मामले में 16 अगस्त तक कार्रवाई न करने का आदेश दिया था। अदालत ने जेएनयू प्रशासन को आदेश दिया था कि खलीद के खिलाफ 16 अगस्त को कोई कार्रवाई जेएनयू प्रशासन न करे।
न्याय मिलने तक संघर्ष करेंगे
उमर खालिद ने बताया कि हमने अभी तक जुर्माना नहीं भरा है। हमने जेएनयू अपील कमेटी के आदेश को अदालत में पहले ही चुनौती दे रखी है। इस मामले में अदालत के आदेश का पालन जेएनयू प्रशासन ने नहीं किया। अदालत के आदेश पर पीएचडी थीसिस जमा करने के लिए जेएनयू गया था। प्रोक्टर ने मेरे सबमिशन को स्वीकार करने से इंकार कर दिया। खालिद ने आरोप लगाया है कि उनकी थीसिस को जान बूझकर स्वीकार नहीं किया गया है। इसके बावजूद मैं जुर्माने की राशि जमा नहीं कराऊंगा। मैं अपनी लड़ाई जारी रखूंगा। खालिद का पीएचडी थीसिस झारखंड के आदिवासी पर है। उनके इस थीसिस पर पीएचडी मुख्य प्राचार्य और वित्त अधिकारी को छोड़कर सभी अधिकारियों के हस्ताक्षर हैं।
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