फिरोजाबाद

देश की राजधानी में सड़कों पर उतरे शिक्षामित्र, देखें वीडियो

दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे सुहाग नगरी के शिक्षामित्रों का कहना है कि यदि जंतर मंतर पर उनकी सुनवाई नहीं होगी तो वह संसद भवन का घेराव कर विरोध जताएंगे।

फिरोजाबादSep 13, 2017 / 03:06 pm

अमित शर्मा

फिरोजाबाद। पहले मुख्यालय फिर लखनऊ और अब देश की राजधानी दिल्ली में मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे शिक्षामित्र हर हथकंडे अपना रहे हैं लेकिन उन्हें कहीं से राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। विगत दो दिन से दिल्ली में डेरा जमाए शिक्षामित्र जंतर मंतर पर विरोध जता रहे हैं। इस बार शिक्षामित्र अर्द्धनग्न होकर सड़कों पर निकले और सरकार के विरूद्ध नारेबाजी की। भूखे प्यासे सड़कों पर रात गुजार रहे शिक्षामित्र काफी परेशान हैं।
इसलिए सड़कों पर उतरे शिक्षामित्र

25 जुलाई 2017 को शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया गया था। उन्हें टीईटी पास करने के बाद ही शिक्षक बनने का मौका देने की बात कही गई थी। शिक्षक इसी फैसले के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। शिक्षामित्र आनंद कुमार का शिक्षामित्र के बाद जब उन्हें शिक्षक के रूप में समयोजित किया गया था। तब डायट पर उनकी ट्रेनिंग हुई थी। जिसमें उन्हें पूरी जानकारी दी गई थी। उसके बाद भी वह कई वर्षो से स्कूलों में शिक्षण कार्य करा रहे हैं। अब टीईटी पास करने की अनिवार्यता कहां से आ गई।
 
जाया नहीं जाने देंगे साथियों की जान

शिक्षामित्र रूपेश कुमार का कहना है कि कोर्ट का फैसला आने के बाद कई शिक्षामित्रों की मौत हो गई। अपने साथी शिक्षामित्रों की जान ऐसे ही जाया नहीं जाने देंगे। वह समायोजन रद्द करने के फैसले के विरोध में प्रदर्शन करते रहेंगे। शिक्षामित्रों को शिक्षक के पद पर रखने के बाद उनके समायोजन रद्द करना न्यायोचित नहीं है। यह सरासर तानाशाही है। इसी तानाशाही के विरोध में शिक्षामित्र अर्द्धनग्न होकर प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में शिक्षामित्रों ने सड़क पर लेटकर भी आंदोलन किया लेकिन कोई समझौता अभी तक नहीं हो सका है।
 
संसद भवन का करेंगे घेराव

दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे सुहाग नगरी के शिक्षामित्रों का कहना है कि यदि जंतर मंतर पर उनकी सुनवाई नहीं होगी तो वह संसद भवन का घेराव कर विरोध जताएंगे। शिक्षामित्र किसी भी तरह अपनी नौकरी पाकर रहेंगे। यदि शिक्षामित्रों को वापस शिक्षक पद पर समायोजित नहीं किया गया तो शिक्षामित्र एकजुट होकर शिक्षण कार्य का बहिष्कार करेंगे। फिर चाहे उन्हें इसके बाद किसी भी परिस्थिति का सामाना क्यों न करना पड़े।
 
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