मालूम हो कि पिछले छह दिनों से 35 हजार से भी ज्यादा किसान इस मसले पर आंदोलन कर रहे थे। उन्होंने नासिक से लेकर मुंबई तक पैदल यात्रा की। भाजपा की सहयोगी पार्टी
शिव सेना ने अपने मुख्य पत्र सामना में लिखा है कि किसानों के प्रचंड तेवर के चलते सरकार का उनकी मांगे मानना मजबूरी थी।
अपने लेख में शिवसेना ने देवेंद्र फडणवीस सरकार को ताना मारते हुए कहा कि जो लोग सरकार में इस मुद्दे पर चुप्पी साधे थे वो अचानक चिंतित हो गए और जो नेता पहले इन किसानों के गुस्से को नहीं महसूस कर रहे थे अब वो अचानक उनकी मांगे पूरी करने को तैयार हो गए हैं।
शिव सेना ने यह भी लिखा,”किसानों के आंदोलन का असर इतना प्रभावशाली था कि मजबूरन सरकार को उनकी सभी मांगों को पूरा करने का भरोसा लिखित में देना पडा। किसानों की ओर से सरकार को पड़ा यह थप्पड़ उसे हमेशा याद रहेगा और कभी कोई भी मजदूरों के जीवन को खराब करने की कोशिश नहीं करेगा।”
सरकार पर बरसते हुए शिवसेना ने यह भी कहा कि छत्रपति शिवाजी के नाम से सत्ता में आने वाले लोगों ने पिछले साढ़े तीन साल में सिर्फ घोषणाएं की और लोगों को न्याय के लिए मजबूर किया। महाराष्ट्र एवं केंद्र सरकार में सत्ताधारी भाजपा के सहयोगी शिवसेना ने कहा कि सरकार के पास यह आखिरी मौका है कि वह अपने वादों को पूरा करें।
किसानों ने अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के बैनर तले नासिक से मुंबई तक आंदोलन किया था। इसमें उन्होंने वन भूमि और कर्ज माफी का अधिकार शामिल करने की मांग की थी। इस मसले पर कल तीन वरिष्ठ राज्य मंत्रियों— चंद्रकांत पाटिल, गिरीश महाजन और एकनाथ शिंदे ने कल दक्षिण मुंबई में आजाद मैदान में किसानों से मुलाकात की थी। साथ ही सरकारी की ओर से उनकी मांगे पूरी करने का निर्णय भी बताया।