scriptशिवसेना ने सरकार और अदालत पर साधा निशाना, आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई का देना पड़ेगा हिसाब | Shiv Sena target govt court to pay for cutting of tree in Aarey colony | Patrika News

शिवसेना ने सरकार और अदालत पर साधा निशाना, आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई का देना पड़ेगा हिसाब

locationनई दिल्लीPublished: Oct 07, 2019 12:10:20 pm

Submitted by:

Dhirendra

पेड़ों की कटाई पर पीएम और सीएम दें सफाई
पेड़ बोल नहीं पाते, तो क्‍या आप उनकी हत्‍या कर देंगे
सरकार का रुख संवेदनहीनता का प्रतीक

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नई दिल्‍ली। एक तरफ सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई आरे कॉलोनी में पेड़ काटे जाने को लेकर फड़णवीस सरकार को फटकार लगाई है तो दूसरी तरफ शिवसेना सरकार और अदालत से इसका हिसाब मांग लिया है।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के एक संपादकीय के जरिए आरे कॉलोनी (Aarey Colony) में पेड़ों की कटाई के लिए सरकार और न्यायलय पर सवाल उठाया है। सामना के संपदाकीय में शिवसेना ने लिखा है कि पेड़ों को वोट देने का अधिकार नहीं है तो क्या आप उनकी हत्या कर देंगे।
आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई के मामले में शिवसेना संपादकीय में महाराष्ट्र सरकार और न्यायालय के रुख पर जमकर निशाना साधा है। शिवसेना ने अपने संपादकीय में लिखा कि सरकार ने रात के अंधेरे में पेड़ों को काटकर पाप किया है। उसे इसका हिसाब देना पड़ेगा।
आरे कॉलोनी के लोगों को सरकार चुप नहीं करा सकती

शिवसेना ने सामना के संपादकीय में लिखा है कि पेड़ मूक हैं लेकिन पेड़ों के लिए प्रदर्शन करने वाले सैकड़ों लोग मूक नहीं हैं। लोगों का आक्रोश न्यायालय तक पहुंच गया है। इस प्रकार सरकार संवेदनहीन बनी हुई है। पेड़ों को वोट देने का अधिकार नहीं है तो क्या उनको काट देना चाहिए।
सरकार के रुख से असहमत

शिवसेना ने बताया है कि दरिद्रता के कारण अपना घर दुखदायी हो जाता है। वैसे ही मुंबई में आरे का जंगल दुखदायी हो गया है क्योंकि वो विकास के आड़े आ रहा है। इसमें बताया कि घर दुखदायी होने पर उसे कोई जलाता नहीं, लेकिन आरे के जंगल को नष्ट किया जा रहा है। इस मामले में सरकार का रुख संवेदनहीनता का प्रतीक है।
निशाने पर पीएम और सीएम

सामना में बताया गया है कि आरे का जंगल बचाने के लिए आंदोलन किसी यूरोपियन देश, अमरीका में हुआ होता तो इसके लिए हमारी कितनी प्रशंसा हुई होती। विदेश में किसी जंगल में आग लगती है तो आग के चटके से लोगों को रोना आता है लेकिन हमारी आंखों के सामने ही पूरा जंगल काटा जा रहा है। उसके लिए न तो प्रधानमंत्री को रोना आया और न ही मुख्यमंत्री परेशान हुए।
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