मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कर्नाटक में एक कद्दावर नेता के रूप में उभरे डीके शिवकुमार ने मीडिया से बातचीत में बताया है कि हमने मिलकर सरकार बनाने का निर्णय लिया है लेकिन ये भी सच है कि गठबंधन सरकार का भविष्य चुनौतियों से भरा होगा। इसके बावजूद इस निर्णय तक इसलिए पहुंचे हैं ताकि भाजपा को मात देना संभव हो सके। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में जेडीएस कांग्रेस की प्रमुख प्रतिद्वंद्वी पार्टी है लेकिन हमारा लक्ष्य कॉमन है। इसलिए हमने चुनाव परिणाम आने से पहले ही यह तय लिया था कि चाहे जो भी भाजपा को फ्लोर टेस्ट तक मात देने के लिए ऐसा करना जरूरी है।
आपको बता दें कि कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार का वास्तुकार डीके शिवकुमार को ही माना जाता है। उन्होंने गठबंधन के विधायकों को एक साथ रखा और किसी को भी गठबंधन के खिलाफ जाने की अनुमति नहीं दी। भाजपा को पटखनी देने के लिए उन्होंने गठबंधन के विधायकों को शपथ ग्रहण के बाद से लेकर फ्लोर टेस्ट तक के समय तक अपने पाले में बांधे रखा। आगे की चुनौतियों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी के हित में फैसला लिया है। निजी तौर में मैं ऐसा नहीं चाहता था लेकिन यह मसला महत्वपूर्ण होने के कारण कड़वाहट को भुलाने का काम किया है। उनका यह बयान इसलिए भी अहम है कि शिवकुमार राज्य कांग्रेस के उन नेताओं में से एक हैं जो जेडीएस और उसके नेताओं के खिलाफ सबसे मुखर थे।
विपक्षी एकता के लिए त्याग
वह मानते हैं कि पार्टी ने यह सौदा विपक्षी एकता को बनाए रखने के लिए किया है। इससे विपक्षी एकता को मजबूती मिलेगी और लोकसभा चुनाव पर यह असर डालने वाला साबित होगा। धर्मनिरपेक्ष ताकतों को इससे बल मिलेगा। उन्होंने कहा कि टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू, टीआरएस प्रमुख केसीआर, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी भी लंबे समय से इस बात की वकालत कर रही हैं। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले हम एक राजनीतिक आह्वान करेंगे। उन्होंने कहा कि हमें भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए एक संदेश देना होगा।