आजमगढ़

तो क्या शिवपाल यादव ने जान बूझकर अखिलेश यादव के खिलाफ उतारा कमजोर प्रत्याशी ?

वहीं भाजपा अब शिवपाल की पार्टी को सपा की बी टीम साबित करने के लिए मैदान में भी कूद पड़ी हैं।

आजमगढ़Apr 23, 2019 / 01:29 pm

Akhilesh Tripathi

आजमगढ़ लोकसभा सीट

आजमगढ़. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया का गठन कर मुलायम सिंह को छोड़ बाकी सीटों पर मजबूत प्रत्याशी खड़ा कर गठबंधन और बीजेपी को मात देने का दावा करने वाले शिवपाल यादव पर अब “36 पर लाल लड़ेगा बाकी पर शिवपाल लड़ेगा” का नारा साकार करने की कोशिश का आरोप लगने लगा है। डिपंल के खिलाफ पहले ही प्रत्याशी उतार कर घिर चुके शिवपाल यादव ने आजमगढ़ में क्षत्रिय नेता अवनीश सिंह को मैदान में उतार लगभग साबित कर दिया है कि उनका मकसद सारे विवाद के बाद भी कुनबे को सुरक्षित करना है, इसके बाद इस बात को लेकर चर्चा तेज हो गई है कि कहीं शिवपाल यादव अखिलेश यादव के खिलाफ जान बुझकर कमजोर प्रत्याशी तो नहीं उतारा है। वहीं भाजपा अब शिवपाल की पार्टी को सपा की बी टीम साबित करने के लिए मैदान में भी कूद पड़ी है।

बता दें कि वर्ष 2016 में कौएद के सपा में विलय के बाद अखिलेश और शिवपाल के बीच विवाद हुआ था। यह विवाद इतना बढ़ा की अखिलेश यादव जहां मुलायम सिंह को सपा अध्यक्ष पद से हटाकर खुद अध्यक्ष बन गए तो शिवपाल यादव ने अपनी राह अलग करते हुए प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया का गठन कर वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव मैदान में कूद गए है। प्रसपा के गठन के बाद से ही सपा यह साबित करने में जुटी है कि प्रसपा बीजेपी की बी टीम है। वहीं बीजेपी इसे सपा की मायावती को नुकसान पहुंचाने की साजिश बता रही है।
 

 

इस चुनाव के दौरान एक नारा भी चर्चा में हैं कि “36 पर लाल लड़ेगा बाकी पर शिवपाल लड़ेगा”। इन सब के बीच शिवपाल यादव फिरोजाबाद से अपने ही भतीजे अक्षय यादव के खिलाफ चुनाव लड़कर यह संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं कि उनका सपा से कोई वास्ता नहीं है। शिवपाल ने पार्टी के गठन के बाद यह घोषणा गठबंधन और बीजेपी को हराने का संकल्प कई बार दोहराया था, लेकिन जिस तरह से शिवपाल ने डिंपल के खिलाफ अपना प्रत्याशी हटाया और फिर आजमगढ़ में अखिलेश के खिलाफ क्षत्रिय को मैदान में उतारा, उसने नई चर्चा को जन्म दे दिया है।

शिवपाल की पार्टी से आजमगढ़ से अवनीश सिंह है जो पूरी तरह नया चेहरा है। अब से पहले उनका कोई राजनीतिक वजूद नहीं रहा है। माना जा रहा है कि क्षत्रिय होने के कारण वे सीधे तौर पर बीजेपी को नुकसान पहुंचाएंगे और इसका सीधा फायदा अखिलेश यादव को मिलेगा। कारण कि कांग्रेस यहां मैदान में नहीं है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पंचायत प्रकोष्ठ के क्षेत्रीय संयोजक रमाकांत पांडेय का कहना है कि पूरे प्रदेश में शिवपाल यादव सपा को लाभ पहुंचाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने जहां सपा का प्रत्याशी है वहां कमजोर प्रत्याशी दिया है जबकि बसपा के खिलाफ मजबूत प्रत्याशी उतारे है। यह बसपा को कमजोर करने की सोची समझी साजिश है। चुनाव के बाद फिर चाचा भतीजा एक मंच पर नजर आएंगे। वहीं पूर्व महामंत्री ब्रजेश यादव का कहना है कि यह एक राजनीतिक खेल है। दिखाने के लिए चाचा भतीजा अलग है और अखिलेश ने गठबंधन में बसपा को 38 सीटें दी है लेकिन हकीकत है कि शिवपाल और अखिलेश मिलकर सभी अस्सी सीटों पर लड़ रहे हैं।
 

BY- RANVIJAY SINGH

 
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