राजनीति

साइड इफेक्‍ट : मोदी राज में TMC और CPM का वजूद खतरे में

Side Effect: लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन का असर
टीएमसी और सीपीएम का राष्‍ट्रीय वजूद पर खतरा
2024 तक रखा जाए राष्‍ट्रीय मान्‍यता बरकरार

Aug 08, 2019 / 03:13 pm

Dhirendra

 
नई दिल्‍ली। वैसे तो लोकसभा चुनाव 2019 में खराब प्रदर्शन का सभी विपक्षी पार्टियों पर असर पड़ा है। लेकिन दो राजनीतिक पार्टियां ऐसी हैं जिनकी राष्‍ट्रीय मान्‍यता खतरे में है।

हाल ही में इन पार्टियों को चुनाव आयोग ने नोटिस जारी कर कहा है कि क्‍यों ने आपकी राष्‍ट्रीय मान्‍यत खत्‍म कर दी जाए।
EC ने भेजा नोटिस

जिन पार्टियों को चुनाव आयोग ( EC ) ने नोटिस भेजा है उनमें तृणमूल कांग्रेस ( TMC ) और कम्‍युनिस्‍ट पार्टी मार्क्‍सवादी ( CPM ) का नाम शामिल है।
इन पार्टियों को बीती 18 जुलाई को एक नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों नहीं राष्‍ट्रीय पार्टी क दर्जा छीन लिया जाए? चुनाव आयोग के इस नोटिस का जवाब देने की आखिरी तारीख 5 अगस्त थी।
चुनाव आयोग के नोटिस के जवाब में इन पार्टियों ने चुनाव आयोग से गुहार लगाई है कि 2024 के लोकसभा चुनावों तक उनसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा न छीना जाए।

बता दें कि ये पार्टियां लोकसभा चुनाव 2019 में मिली करारी शिकस्‍त के बाद राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे की न्यूनतम योग्यता खो चुके हैं।
CPM: राष्‍ट्रीय दर्जा बरकरार रखा जाए

चुनाव आयोग के नोटिस का जवाब देते हुए सीपीआई ने कहा है कि हम देश की सबसे पुरानी पार्टियों में से एक हैं और हमने देश की आजादी की लड़ाई में भी हिस्सा लिया है। ऐसे में फिलहाल हमारा राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बरकरार रखा जाए।
TMC ने दिया ये तर्क

ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने अपने जवाब में कहा है कि उनकी पार्टी को साल 2016 में ही राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला है। उन्हें साल 2024 के आम चुनावों तक यह दर्जा दिया जाए।
टीएमसी ने तर्क दिया है कि साल 2014 के आम चुनावों में बसपा, सीपीआई और एनसीपी अपना राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खो चुकी थीं, लेकिन आयोग ने दो चुनाव चक्र के बाद इनके राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे का रिव्यू करने का फैसला किया था।
ऐसे में टीएमसी को भी दो चुनाव चक्र पूरा करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
इसके बावजूद यदि चुनाव आयोग इन पार्टियों का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा समाप्त करता है तो फिर देश में सिर्फ भाजपा, कांग्रेस, नेशनल पीपल्स पार्टी, सीपीएम और बसपा ही राष्ट्रीय पार्टियां रह जाएंगी।

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