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हर कंप्यूटर पर नजर: बड़ा सवाल- क्यों सभी भारतीयों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है?

locationनई दिल्लीPublished: Dec 22, 2018 09:31:16 am

देश के सभी कंप्यूटरों पर नजर रखने का अधिकार देने के गृह मंत्रालय के आदेश के बाद विपक्ष ने हमलावर रवैया अपना लिया है।

कंप्यूटर पर नजर

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नई दिल्ली। देश के सभी कंप्यूटरों पर नजर रखने का अधिकार देने के गृह मंत्रालय के आदेश के बाद विपक्ष ने हमलावर रवैया अपना लिया है। विपक्ष ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार पर निजता के अधिकार का हनन करने का आरोप लगाया है।
दरअसल, सरकार ने 10 खुफिया और जांच एजेंसियों तथा दिल्ली पुलिस को किसी भी कंप्यूटर को भेदने, उसकी निगरानी और डिक्रिप्ट करने का अधिकार दे दिया है। विपक्ष ने सरकार के इस आदेश को देश को एक ‘सर्विलांस और ओर्वेलियाई स्टेट’ बनाने जैसा करार दिया।
इस संबंध में कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने संसद के बाहर कहा, “भाजपा सरकार इस आदेश के जरिए भारत को एक निगरानी अधीन राज्य (सर्विलांस स्टेट) में बदल रही है। यह मूलभूत अधिकारों और निजता के अधिकारों का हनन है। यह आदेश सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ‘निजता का अधिकार मूलभूत अधिकार है’ का सीधा उल्लंघन है।”
https://twitter.com/ANI/status/1075984791567253504?ref_src=twsrc%5Etfw
शर्मा ने कहा, “सरकार ने इसे किया है और हम इसका पूरी मजबूती के साथ विरोध कर रहे हैं। यह सभी एजेंसियों को सभी सूचनाओं पर निगरानी रखने की असीमित शक्तियां प्रदान करता है।”
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि अगर कोई हमारे कंप्यूटरों पर नजर रखने जा रहा है तो यह एक ‘ओर्वेलियन स्टेट’ है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सरकार के इस आदेश पर ट्विटर पर निशाना साधा और कहा, “मुझे जानकारी मिली है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गुरुवार को 10 केंद्रीय एजेंसियों को ‘किसी भी कंप्यूटर’ में तैयार, ट्रांसमिट, प्राप्त या संग्रहित ‘किसी भी सूचना’ को भेदने, उनका निरीक्षण करने और उसे डिक्रिप्ट करने की इजाजत दे दी है।”
https://twitter.com/MamataOfficial/status/1076010097120346114?ref_src=twsrc%5Etfw
उन्होंने कहा, “अगर यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए है, तब इस उद्देश्य के लिए केंद्र सरकार के पास पहले से ही तंत्र मौजूद है। लेकिन इससे क्यों सभी आम लोगों को प्रभावित किया जाएगा? कृपया लोग अपने विचार रखें..।”
राष्ट्रीय जनता दल(राजद) के नेता मनोज झा ने कहा, “हमने सीबीआई के जरिए उनकी कार्यप्रणाली को देखा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि हम ओर्वेलियन स्टेट में जी रहे हैं। यह मीडिया के लिए भी चुनौती है और खतरनाक है।”
https://twitter.com/SitaramYechury/status/1075965497827577856?ref_src=twsrc%5Etfw
माकपा नेता येचुरी ने भी सरकार के इस फैसले का विरोध किया और कहा, “क्यों सभी भारतीयों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है? सभी नागरिकों की जासूसी करने के लिए सरकार का यह आदेश असंवैधानिक है और टेलीफोन टैपिंग दिशानिर्देशों, निजता पर फैसले और आधार पर फैसले का उल्लंघन है।”
समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता राम गोपाल यादव ने इसे एक ‘खतरनाक आदेश’ करार दिया और कहा कि सरकार तानाशाही के रास्ते पर आगे बढ़ रही है।

https://twitter.com/manojkjhadu/status/1076108805497225216?ref_src=twsrc%5Etfw
यादव ने कहा, “सरकार ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद यह कदम उठाया है। मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि उनके हाथ में यह आदेश केवल चार महीनों के लिए है, और उसके बाद हम नई सरकार को देखेंगे। इसलिए उन्हें अपने लिए गड्ढे नहीं खोदने चाहिए।”
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