त्रिशंकु लोकसभा की आशंका
संघ के मुखपत्र आर्गेनाइजर के इस लेख से साफ है कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में किसी दल को बहुमत नहीं मिलने की आशंका जाहिर की गई है। ऐसी स्थिति में 2019 में त्रिशंकु लोकसभा की स्थिति बन सकती है। संघ की इन आशंकाओं को देखते हुए मोदी विरोधी भाजपा खेमे में सुगबुगाहट शुरू हो गई है। इस बात की जानकारी संघ के लोगों को भी है। ऑर्गेनाइज़र ने अपने 23 दिसंबर के ताजा अंक में 2019 के आम चुनावों में इस बात की संभावना जताई है। साथ ही संघ का मानना है कि अगले छह महीनों तक देश में सरकार को प्रभावी तरीके से चला पाना आसान नहीं होगा।
संघ के मुखपत्र आर्गेनाइजर के इस लेख से साफ है कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में किसी दल को बहुमत नहीं मिलने की आशंका जाहिर की गई है। ऐसी स्थिति में 2019 में त्रिशंकु लोकसभा की स्थिति बन सकती है। संघ की इन आशंकाओं को देखते हुए मोदी विरोधी भाजपा खेमे में सुगबुगाहट शुरू हो गई है। इस बात की जानकारी संघ के लोगों को भी है। ऑर्गेनाइज़र ने अपने 23 दिसंबर के ताजा अंक में 2019 के आम चुनावों में इस बात की संभावना जताई है। साथ ही संघ का मानना है कि अगले छह महीनों तक देश में सरकार को प्रभावी तरीके से चला पाना आसान नहीं होगा।
गडकरी के क्यों बदल गए बोल?
अब तो मोदी सरकार में कद्दावर मंत्री नितिन गडकरी के बदले बोल को भी इसी से जोड़कर देखा जाने लगा है। उन्होंने एक तरफ सरकार की विजय माल्या के संभावित प्रत्यर्पण को भुनाने की तरकीबें सोचने से इतर एक कार्यक्रम में कह दिया कि एक बार कर्ज न चुकाने वाले को घोटालेबाज़ कहना सही नहीं है। इतना ही नहीं उन्होंने फिर से एक कार्यक्रम में कहा कि भाजपा में कुछ प्रवक्ताओं को जरूरत से ज्यादा बोलने की आदत हो गई है। ऐसे लोगों को समझना होगा कि ज्यादा बोलना पार्टी की छवि के लिहाज से अच्छा नहीं होता है। इस बात की भी आशंका जताई जा रही है कि सरकार विपक्षी एकता को देखकर सहमी हुई है।
अब तो मोदी सरकार में कद्दावर मंत्री नितिन गडकरी के बदले बोल को भी इसी से जोड़कर देखा जाने लगा है। उन्होंने एक तरफ सरकार की विजय माल्या के संभावित प्रत्यर्पण को भुनाने की तरकीबें सोचने से इतर एक कार्यक्रम में कह दिया कि एक बार कर्ज न चुकाने वाले को घोटालेबाज़ कहना सही नहीं है। इतना ही नहीं उन्होंने फिर से एक कार्यक्रम में कहा कि भाजपा में कुछ प्रवक्ताओं को जरूरत से ज्यादा बोलने की आदत हो गई है। ऐसे लोगों को समझना होगा कि ज्यादा बोलना पार्टी की छवि के लिहाज से अच्छा नहीं होता है। इस बात की भी आशंका जताई जा रही है कि सरकार विपक्षी एकता को देखकर सहमी हुई है।
सांसद भी उठा चुके है सवाल
हाल ही संपन्न संसदीय दल की बैठक में भाजपा सांसद रवींद्र कुशवाहा ने सवाल उठाया था कि राम मंदिर के मोर्चे पर सरकार क्या कर रही है। इसके बाद उनकी बात के समर्थन में मध्य प्रदेश की घोसी सीट से सांसद हरि नारायण राजभर और दूसरे सांसदों ने भी कहा कि सरकार को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए सरकार को अध्यादेश लाना चाहिए।
हाल ही संपन्न संसदीय दल की बैठक में भाजपा सांसद रवींद्र कुशवाहा ने सवाल उठाया था कि राम मंदिर के मोर्चे पर सरकार क्या कर रही है। इसके बाद उनकी बात के समर्थन में मध्य प्रदेश की घोसी सीट से सांसद हरि नारायण राजभर और दूसरे सांसदों ने भी कहा कि सरकार को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए सरकार को अध्यादेश लाना चाहिए।