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सरकार के पशुधन व्यापार पर नियम पर सुप्रीम कोर्ट का स्टे

locationनई दिल्लीPublished: Aug 12, 2017 12:02:00 pm

Submitted by:

kundan pandey

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को झटका देते हुए मद्रास हाई कोर्ट द्वारा पशु बिक्री बैन अधिसूचना पर लगाई गई रोक को पूरे देश में लागू कर दिया है।

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Supreme Court

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को झटका देते हुए मद्रास हाई कोर्ट द्वारा पशु बिक्री बैन अधिसूचना पर लगाई गई रोक को पूरे देश में लागू कर दिया है। दरअसल, केंद्र सरकार ने पशु ब्रिकी बैन के लिए एक अधिसूचना जारी की थी लेकिन मद्रास हाई कोर्ट ने उस पर रोक लगा दी थी। अब वह रोक तमिलनाडू के साथ-साथ पूरे देश पर लागू हो गई है।
वधशालाओं के लिए केवल राज्य सरकार ही बना सकती है नियम
सुप्रीम कोर्ट ने वध के लिए पशुओं के व्यापार से जुड़े केन्द्र सरकार के इस नए नियम पर रोक लगा दी है। अदालत ने यह भी बताया है कि पशु वध क्रूरता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने पशुधन के नए नियम पर सुनवाई के दौरान शुक्रवार को केंद्र सरकार से पूछा कि एक व्यक्ति एक जानवर को मार कर क्यों नहीं खा सकता? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार की यह नई व्यवस्था पशुधन बाजार को नियंत्रित करने का एक प्रयास है जबकि संविधान के अनुसार केवल राज्य सरकार ही वधशालाओं के लिए नियम बना सकती है।
जस्टिस खेहर और जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की बेंच ने लिया फैसला
इस अधिसूचना के बाद वध के लिए पशु व्यापार पर छह माह की रोक लग गई थी। इसके तहत खरीदार को पशु निरीक्षक की ओर से दिया गया खरीदारी का प्रमाणपत्र रखना आवश्यक था। सीजेआई जेएस खेहर ने पूछा, जानवर की श्रेणी में हमेशा गाय और भैंस को ही मानते हैं, चिकेन भी हो सकता है। एक व्यक्ति चिकेन को घर ले जाकर क्यों नहीं खा सकता? उन्होंने सुनवाई के दौरान एक और अहम बात कही कि वधशाला क्रूरता नहीं है। यह फैसला चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर और जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की बेंच ने लिया। दोनों ने केंद्र सरकार के उस नोट को भी देखा जिसमें उस नोटिफिकेशन को फिर से नए सिरे से तैयार करने की बात कही गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने आल इंडिया जमियतुल कुरैश एक्शन कमेटी की याचिका का भी निपटारा किया।
केंद्र ने 23 मई को जारी की थी अधिसूचना
केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर जानवरों से क्रूरता की रोकथाम (पशुधन बाजार नियमन) अधिनियम, 2017 पर रोक लगा दी है। केंद्र ने 23 मई को इसकी अधिसूचना जारी की थी। इससे मुक्त व्यापार करने के अधिकार पर असर पड़ेगा। इस रोक से पशुधन उद्योग में तेजी से बूम आ सकता है। नियम का विरोध करते हुए तर्क दिया गया कि यदि इस नए नियम पर रोक लगा दी जाए तो मीट उत्पादन और उससे संबंधित रोजगार पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
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