उत्तराखण्ड विधानसभा में फ्लोर टेस्ट पर विचार करें केन्द्र: SC
Published: May 03, 2016 11:51:00 am
उत्तराखण्ड में राष्ट्रपति शासन हटाने के नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई बुधवार तक के लिए टल गई है
नई दिल्ली। उत्तराखण्ड में राष्ट्रपति शासन हटाने के नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई बुधवार तक के लिए टल गई है। मंगलवार को मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के बारे में विचार करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने रामेश्वर जजमेंट का हवाला देते हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से पूछा कि क्या हमारी निगरानी में विधानसभा में शक्ति परीक्षण नहीं हो सकता। जस्टिस दीपक मिश्रा और
शिवकीर्ति सिंह की पीठ मामले पर सुनवाई कर रही है।
उत्तराखण्ड में सियासी संकट की शुरुआत 18 मार्च को हुई। इस दिन कांग्रेस के 38 में से 9 विधायक बागी हो गए और वित्त विधेयक पर मतदान के समय भाजपा के विधायकों के साथ नजर आए। इसी दिन कांग्रेस के बागी विधायकों और भाजपा के 27 विधायकों ने राज्यपाल केके पॉल से मुलाकात की और हरीश रावत सरकार को भंग करने की मांग की।
इस पर राज्यपाल ने 28 मार्च तक हरीश रावत को विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा। विधानसभा में शक्ति परीक्षण के एक दिन पहले केन्द्र सरकार ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया। उसी दिन विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस के 9 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया। हरीश रावत ने राष्ट्रपति शासन लगाने के केन्द्र के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी।
हाईकोर्ट ने राष्ट्रपति शासन हटाते हुए रावत सरकार को बहाल कर दिया और हरीश रावत को 29 अप्रेल को विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा लेकिन केन्द्र ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखण्ड से राष्ट्रपति शासन हटाने के फैसले पर 3 मई तक रोक लगा दी थी।