संसद के मानसून सत्र पर ‘अविश्वास’ की छाया, सरकार को बैकफुट पर धकेलने के लिए विपक्ष का दांव सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला इससे पहले चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचुद की एक खंडपीठ ने कहाथा कि इसे अगले हफ्ते में कुछ समय में सूचीबद्ध किया जाएगा। दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने खंडपीठ के समक्ष इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि कहा कि 4 जुलाई के फैसले के बाद भी सार्वजनिक सेवाओं के मुद्दे पर एलजी की तरफ से गतिरोध जारी है और इसलिए इसे उचित बेंच द्वारा निपटाया जाना आवश्यक है। इस मुद्दे पर व्यवस्था देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने पहले अपने फैसले में कहा था कि दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच संघर्ष से संबंधित सभी लंबित अपीलों को बाद में उचित बेंच द्वारा सुना जाएगा।
पीएम मोदी: सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार जारी है दिल्ली में गतिरोध इससे पहले मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय खंडपीठ ने कहा था कि एलजी के पास निर्णय लेने की कोई स्वतंत्र शक्ति नहीं है और वह दिल्ली की निर्वाचित सरकार की सलाह से बंधे हैं। खंडपीठ ने स्पष्ट किया था कि दिल्ली सरकार अपनी प्रशासनिक और विधायी शक्तियों के प्रयोग में स्वतंत्र है बशर्ते वह एलजी को अपने फैसलों की जानकारी देते रहे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पुलिस और भूमि को छोड़कर दिल्ली सरकार के पास अन्य मुद्दों पर कानून बनाने और शासन करने की शक्ति है।