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कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट से फैसले से तमिलनाडु खुश, 3 मई तक केंद्र बनाएगी योजना

Published: Apr 09, 2018 06:23:38 pm

Submitted by:

Chandra Prakash

कावेरी विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपको वास्तविक तौर पर दिखाना होगा कि आप कोर्ट के जल वितरण के आदेश का सम्मान करते हुए एक योजना तैयार करेंगे।

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Supreme Court Pulls Senior Rajasthan Official-No Proper Dress in Court

नई दिल्ली। कावेरी जल विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर तमिलनाडु सरकार ने संतुष्टि जताई है। तमिलनाडु के कानून मंत्री सी.वी.षणमुगम ने कहा कि इसके बाद सब ‘अच्छा’ होगा। सर्वोच्च न्यायालय के 16 फरवरी के आदेशानुसार केंद्र सरकार को अंतरराज्यीय जल विवाद अधिनियम की धारा 6ए के तहत तीन मई तक एक योजना तैयार करने का आदेश दिया गया है।
‘सब अच्छा होगा’
सर्वोच्च अदालत के फैसले के बाद उन्होंने कहा कि हमें विश्वास है कि आज के आदेश से सब अच्छा होगा। संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता है कि इस मुद्दे में विलंब करना चाहिए। सी.वी.षणमुगम ने कहा कि तमिलनाडु सरकार द्वारा दायर की गई अवमानना याचिका किसी भी व्यक्ति को दंडित करने के लिए नहीं की गई थी, बल्कि 16 फरवरी के फैसले को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए की गई थी।
केंद्र को लगी सुप्रीम फटकार
सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कावेरी नदी के जल बंटवारे पर अपने फैसले के क्रियान्वयन के लिए योजना तैयार नहीं करने के लिए केंद्र को फटकार लगाई और मुद्दे को तीन महीने के लिए टालने की केंद्र की याचिका को अस्वीकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम.खानविलकर व न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ की पीठ ने केंद्र को योजना का मसौदा 3 मई तक तैयार करने का निर्देश देते हुए कहा, “आपको वास्तविक तौर पर दिखाना होगा कि आप शीर्ष अदालत के जल वितरण के आदेश का सम्मान करते हुए एक योजना तैयार करेंगे।”
3 मई तक जवाब दे सरकार
प्रधान न्यायाधीश मिश्रा ने अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल को शीर्ष अदालत के 16 फरवरी के आदेशानुसार योजना दाखिल करने का निर्देश देते हुए कहा, “आप को इसे दाखिल करना होगा.वे ऐसा करने को बाध्य हैं। केंद्र ने कर्नाटक विधानसभा के चुनावों का हवाला देते हुए व कुछ स्पष्टीकरणों की मांग करते हुए कावेरी मुद्दे पर अदालत के फैसले के क्रियान्वयन के लिए योजना बनाने के लिए तीन महीने के समय की मांग की थी। सर्वोच्च अदालत ने कावेरी मामले में फरवरी के अपने फैसले में थोड़ा संशोधन किया था।
कम पढ़ा लिखा इंसान समझ गया लेकिन केंद्र नहीं
तमिलनाडु की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील शेखर नफाडे ने अदालत से कहा, “आपका आदेश इतना स्पष्ट था कि जिस व्यक्ति को अंग्रेजी का प्राथमिक ज्ञान है वह भी इसे समझ सकता है। लेकिन केवल केंद्र ही इसे नहीं समझ पा रहा, जिसका कारण उसे ही बेहतर पता होगा।”
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