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तेलंगाना- विधानसभा सीटों को लेकर डील फाइनल, 90 सीटों पर चुनाव लड़ेगी कांग्रेस

Published: Sep 13, 2018 08:18:58 am

Submitted by:

Dhirendra

के चंद्रशेखर राव की पार्टी टीआरएस को हराने के लिए कांग्रेस-टीडीपी-लेफ्ट ने एक साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया।

नई दिल्‍ली। तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव की पार्टी टीआरएस को हराने के लिए मंगलवार को टीडीपी-लेफ्ट-कांग्रेस ने एक साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया था। इस मामले में नई बात ये है कि टीआरएस के खिलाफ गठबंधन के इन पार्टियों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर डील हो गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तेलंगाना विधानसभा सीटों में से 90 सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी। इससे पहले तीनों पार्टियों के नेताओं ने हैदराबाद के एक होटल में मुलाकात कर गठबंधन का ऐलान किया था।
अन्‍य सहयोगी पार्टियों को जोड़ने का प्रयास जारी
मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से कहा गया है कि तेलंगाना के कुल 119 विधानसभा सीटों में कांग्रेस 90 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। 20 सीटें टीडीपी और लेफ्ट के लिए छोड़ा गया है। 9 सीटों अन्‍य संभावित क्षेत्रीय पार्टियों के लिए रिजर्व रखा गया है। तेलंगाना में गठबंधन को लेकर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा कि वह सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) को हराने के लिए इस गठबंधन में और पार्टियों को लाने की कोशिश करेंगे।
राष्‍ट्रपति शासन की मांग
गठबंधन को लेकर हुई मीटिंग के बाद कांग्रेस, टीडीपी और लेफ्ट के नेता एक साथ राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन से भी मिलने पहुंचे। उन्होंने राज्यपाल से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की। इन नेताओं ने कहा कि जब तक राज्य में कार्यवाहक मुख्यमंत्री राव रहेंगे, तब तक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव नहीं हो सकते।
सात दिन पहले केसीआर ने दे दिया था इस्‍तीफा
आपको बता दें कि तेलंगाना विधानसभा का कार्यकाल अगले साल जून में करीब करीब लोकसभा के कार्यकाल के साथ खत्‍म हो जाएगा। लेकिन कार्यवाहक सीएम के चंद्रशेखर राव ने तय समय से पहले राज्य विधानसभा में चुनाव कराने के लिए अपने पद से छह सितंबर को इस्‍तीफा दे दिया था। उन्‍होंने राज्‍यपाल से मिलकर कैबिनेट के फैसले की सूचना दी और तत्‍काल चुनाव कराने का सुझाव भी दिया था। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर तेलंगाना में अभी चुनाव होते हैं तो विपक्ष को तैयारी करने का मौका नहीं मिलेगा। इसका सीधा फायदा केसीआर को मिल सकता है। अगर यही चुनाव लोकसभा के साथ-साथ होने पर कांग्रेस और भाजपा को इसका लाभ ज्‍यादा मिल सकता है।
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