राज्य में टीआरएस और कांग्रेस के महा गठबंधन के बीच दो तरह की लड़ाई देखी गई है। बता दें कि कांग्रेस के साथ तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी), तेलंगाना जन समिति (टीजेएस) और सीपीआई भी शामिल है। बीजेपी ने इस साल की शुरुआत में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से बाहर निकलने वाले टीडीपी के बाद अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
1. तेलंगाना में चुनावी लड़ाई 119 निर्वाचन क्षेत्रों में हो रही है। इन सीटों के लिए मतदान 7 दिसंबर 2018 को एक ही चरण में हुआ था।
2. सभी एक्जिट पोल्स में भविष्यवाणी की गई थी कि टीआरएस को कांग्रेस गठबंधन के ऊपर स्पष्ट बढ़त हासिल है।
3. कांग्रेस और चंद्रबाबू नायडू के टीडीपी ने ‘पीपुल्स फ्रंट’ बैनर के तहत एक साथ आने के लिए अपनी प्रतिद्वंद्विता समाप्त कर दी।पीपुल्स फ्रंट’ के नेता- तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) के अध्यक्ष एन उत्तम कुमार रेड्डी, टीडीपी के तेलंगाना इकाई के अध्यक्ष एल रामाना, सीपीआई नेता चाडा वेंकट रेड्डी और तेलंगाना जन समिति (टीजेएस) ने एकजुट होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया।
4. महाकुट्टामी गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टियां कांग्रेस और टीडीपी ने सोमवार को राज्य के राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन से मुलाकात की, और अनुरोध किया कि चुनाव परिणाम आने के बाद पहले उन्हें सरकार बनाने का पहला मौका दिया जाए।
5. असदुद्दीन ओवैसी के अखिल भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) हैदराबाद में आठ निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ रही है। पार्टी अध्यक्ष ने घोषणा की है कि पार्टी टीआरएस का समर्थन करेगी। समाचार लिखे जाने तक इस बात की सूचना है कि ओवैसी हैदराबाद की चारमीनार सीट से चुनाव जीत चुके हैं।
6. टीआरएस ने 2 दिसंबर को अपना चुनावी घोषणापत्र जारी किया, जो मौजूदा योजनाओं और आश्वासनों का मिश्रण था।केसीआर ने पेंशन योजनाओं और कोटा के वादे के साथ तेलंगाना के लोगों को लुभाने की कोशिश की है। वन भूमि विवाद, सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र में वृद्धि और युवा बेरोजगारी से निपटने में कुछ मुद्दे हैं जिनके बारे में घोषणापत्र में बड़े वादे किये गए हैं।
7. पिछले विधानसभा चुनावों में टीआरएस ने 63 सीटें जीती थीं। जबकि कांग्रेस ने 21, टीडीपी ने 15, एआईएमआईएम ने बीजेपी ने 5 और अन्य ने 8 सीटें जीती थीं।
8. अभियान के दौरान, राहुल गांधी ने केसीआर की टीआरएस पर हमला किया था और इसे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की बी-टीम कहा था।