तेलंगाना को राज्य का दर्जा दिलाने में टीआरएस की अहम भूमिका रही। यही इसकी सबसे बड़ी सियासी जीत है, जिसे केसीआर आज तक भुना रहे हैं। तेलंगाना की जनता भी राज्य बनने का श्रेय केसीआर को ही देती है। केसीआर शासन में हुए विकास कार्यों को सियासत में दिलचस्पी रखने वाला राह चलता आदमी भी गिना देता है। तेलंगाना में 17 लोकसभा सीट है और यहां पहले चरण में 11 अप्रेल को मतदान होना है। नामांकन दाखिल करने का काम खत्म हो चुका है। टीआरएस, कांग्रेस और
भाजपा सभी सीट पर चुनाव लड़ेगे। वहीं चन्द्रबाबू नायडू की तेलगुदेशम पार्टी (टीडीपी) और जगमोहन रेड्डी की वायएसआर कांग्रेस पार्टी तेलंगाना में अपने उम्मीदवार नहीं उतार रही है। ऐसे में हैदराबाद को छोडकऱ लगभग 15-16 सीट पर असली मुकाबला टीआरएस और कांग्रेस के बीच देखने को मिलेगा। हैदराबाद में एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी एक बार फिर मैदान में है। उनका यहां कांग्रेस व भाजपा से मुकाबला है। टीआरएस उम्मीदवार भी खड़ा कर रही है और ओवैसी का समर्थन भी कर रही है।
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भाजपा में नंबर 2 से केंद्र सरकार में नंबर 2 की तैयारी में अमित शाह! वहीं, मोदी की सभाओं के बल पर भाजपा मुकाबले में आने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस इस बात को जनता तक पहुंचाने का प्रयास कर रही है कि केसीआर का मोदी से समझौता है। ऐसे में टीआरएस को वोट देने का मतलब सीधे भाजपा को जिताना है। भाजपा इसे महज अफवाह बता रही है।
हैदराबाद मेट्रो में मेरे बगल में बैठकर नामपल्ली से लकड़ी का पुल स्टेशन जा रहे रामालु से चुनावी मुद्दों पर पूछा तो उसने एक सांस में राज्य सरकार की कई योजनाओं के नाम गिना दिए। उन्होंने किसान, युवा, सिंचाई, अल्पसंख्यक समेत कई योजनाओं के नाम बताए और बोले, इन सब का क्रियान्वयन हो रहा है।
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देश के प्रधानमंत्री को हर बात के लिए दोषी ठहराना गलत परंपरा! इसलिए केसीआर को वोट मिलते हैं। चौकीदार और चोर जैसे सियासी जुमलों पर कहा कि यहां यह कोई मुद्दा ही नहीं है। बालापुर निवासी शंकर कपाड़ी ने कहा कि विधानसभा हो या लोकसभा चुनाव, कोई फर्क नहीं पड़ता। मुद्दे गरीबों के ही रहेंगे, यहां राज्य सरकार अच्छा काम कर रही है।