गौरतलब है कि उत्तराखंड के हरिद्वार जनपद में जहरीली शराब पीने से 34 लोगों की मौत हो गई थी। मामले पर सरकार ने सख्ती बरतते हुए तत्काल प्रभाव से आबकारी के 17 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया था। क्षेत्र के पुलिसकर्मियों पर भी कार्रवाई की गई थी। घटना पर सख्त रुख इख्तियार करते मुख्यमंत्री ने अवैध शराब के कारोबार पर लगाम लगाने के लिए इस सत्र में विधेयक पेश करने का मन बना लिया है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि हरिद्वार जनपद में हुई घटना की तह तक जाकर जांच की जाएगी। इसके लिए आईजी रैंक के अधिकारी की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की जा रही है। इस मामले में मजिस्ट्रियल जांच के आदेश पहले ही दिये जा चुके हैं। उत्तराखण्ड व उत्तरप्रदेश पुलिस की संयुक्त कमेटी भी बनाई गई है।
हरिद्वार और सहारनपुर के एसएसपी इस पूरे मामले का खुलासा कर चुके हैं कि शराब किसके द्वारा बनाई गई, कहां बनाई गई व किसके द्वारा बेची गई। हमारा प्रयास है कि इस मामले में संलिप्त सभी लोगों तक पहुंचा जाय।
पुलिस के अनुसार जांच में अभी तक पाया गया है कि अवैध शराब उत्तरप्रदेश के सहारनपुर जिले से लाकर झबरेड़ा इलाके में गांव वालों को बेची गई थी। इस घटना में सहारनपुर से शराब लाकर बेचने वाले आरोपी बाप-बेटे को गिरफ्तार कर लिया गया है। हांलाकि अवैध शराब बनाने वाली तीन आरोपी अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। पुलिस का मानना है कि गांवों में अवैध शराब को नशीला बनाने के लिए
रेक्टिफॉयर नामक रसायन का प्रयोग लिया जाता है। इसकी मात्रा ज्यादा होने पर यह रसायन ही जहर का काम करने लगता है। उत्तर प्रदेश के एजेंट बाल्लूपुर व आसपास के गांवों में इसकी सप्लाई करतेे हैं। उत्तराखंड व उत्तरप्रदेश पुलिस फोर्स इनकी धरपकड़ में जुटी हुई है।`