रामविलास पासवान (लोजपा), हाजीपुर लोकसभा सीट लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) प्रमुख रामविलास पासवान 2019 लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। उनकी जगह उनका भाई पशुपति कुमार पारस इस बार हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनावी ताल ठोकेंगे। कई बार सांसद और केन्द्रीय मंत्री रह चुके पासवान ने इस बार लोकसभा चुनव लड़ने से इनकार दिया और साथ ही राजनीतिक सफर का अंत भी कर दिया है। हालांकि, चर्चा यह है कि पासवान इस बार राज्यसभा जा सकते हैं।
हुकुमदेव नारायण (भाजपा), मुधबनी लोकसभा सीट भाजपा के वरिष्ठ नेता और मंत्री हुकुमदेव नारायण भी इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने जा रहे हैं। उनकी जगह उनका बेटा अशोक कुमार यादव इस बार मधुबनी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। भाजपा में हुकुम देव की पकड़ अच्छी है और देश के जाने-माने नेता हैं। संसद में उन्होंने कई कई बार ऐसा भाषण दिया, जिसके मुरीद खुद प्रधानमंत्री मोदी भी हो गए।
शाहनवाज हुसैन (भाजपा), भागलपुर लोकसभा सीट पूर्व केन्द्रीय मंत्री और पूर्व भाजपा सांसद शाहनवाज हुसैन को पार्टी ने इस बार टिकट नहीं दिया है। अब वो भी चुनावी ताल नहीं ठोक सकेंगे। इस बार भागलपुर की सीट जदयू के खाते में चली गई है। जदयू के अजय कुमार मंडल इस बार भागलपुर से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। गौरतलब है कि 2014 लोकसभा चुनाव में हुसैन को हार का सामना करना पड़ा था। मोदी मंत्रिमंडल में भी उन्हें कोई जगह नहीं दी गई है। यहां आपको बता दें कि अटल बिहार के कार्यकाल में हुसैन केन्द्रीय मंत्री भी रह चुके हैं।
भाई बीरेंद्र कुमार चौधरी (भाजपा), झंझारपुर झंझापुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके भाई बीरेन्द्र कुमार चौधरी (भाजपा) इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। उनकी जगह इस बार यह सीट जदयू के खाते में चली गई है। यहां रामप्रीत मंडल इस बार लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। पार्टी ने भाई बीरेन्द्र को इस बार टिकट नहीं दिया है।
‘दो गिग्गज हुए साइड लाइन’ वहीं, दो नाम ऐसे हैं जो काफी चर्चित हैं। लेकिन, पार्टी के खिलाफ लगातार बयानबाजी करने के कारण उनका हमेशा के लिए एनडीए से पत्ता साफ हो गया। शत्रुघ्न सिन्हा को इस भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। ऐसा माना जा रहा है कि सिन्हा जल्द ही दूसरी पार्टी का दामन थामेंगे। वहीं, कीर्ति आजाद पहले से ही बाहर हो चुके हैं और उन्होंने कांग्रेस का दामन भी थाम लिया है। लिहाजा, इन दो दिग्गजों की बिहार एनडीए से हमेशा के लिए विदाई हो चुकी है।