पीडीपी से गठजोड़ के लिए मंगलवार का दिन काफी अहम है, क्योंकि 3 जुलाई को कांग्रेस की एक अहम बैठक होने जा रही है। इस बैठक में जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के नेता, सभी विधायक, एमएलसी के साथ पूर्व मंत्रियों और राज्यसभा में विपक्ष के नेता और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद और अंबिका सोनी भी शामिल होंगे। माना जा रहा है कि इस बैठक में महबूबा से हाथ मिलाने पर मुहर लग सकती है।
पहले भी मिल चुके हैं कांग्रेस-पीडीपी
कांग्रेस-पीडीपी के बीच गठबंधन कोई नया नहीं है। इससे पहले भी इन दोनों ने 2002 में हाथ मिलाया था। उस वक्त मुफ्ती मुहम्मद सईद के नेतृत्व में पीडीपी-कांग्रेस करीब आए और सरकार बनाई। इस दौरान दोनों पार्टी ने मिलकर 3-3 साल के फॉर्मूले पर काम किया। पहले मुहम्मद सईद सीएम बने तो बाद के तीन साल में कांग्रेस गुलाम नबी आजाद ने सत्ता संभाली। हालांकि अमरनाथ भूमि मुद्दे को लेकर पीडीपी ने आजाद सरकार को झटका देते हुए समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई।
ऐसे बन रहा सीटों का गणित
87 सीटों वाली राज्य विधानसभा में पीडीपी के पास फिलहाल 28 विधायक हैं। जबकि कांग्रेस के पास 12 विधायक हैं। ऐसे में पीडीपी और कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए 4 और विधायकों की जरूरत है। अब सीपीआई (एम) का एक विधायक, पीडीएफ का एक विधायक और दो निर्दलीय विधायक उन्हें समर्थन दे देते हैं तो ये कोशिश रंग लाएगी।
भाजपा के पक्ष में नहीं ये चार
कांग्रेस और पीडीपी के लिए संतोषजनक बात यह है कि चारों निर्दलीय विधायक भाजपा के पक्ष में नहीं है। निर्दलीय विधायकों में पवन गुप्ता, मुहम्मद यूसुफ तारीगामी, हकीम मुहम्मद यासीन और इंजीनियर रशीद हैं। चारों ऐसे विधायक हैं जिन्होंने भाजपा को समर्थन नहीं किया है।