राजनीति

कश्मीर में पारंपरिक राजनीतिक दलों को लग सकता है झटका, घाटी में तीसरा विकल्प ले रहा अंगड़ाई

घाटी में तीसरा विकल्प ले रहा अंगड़ाई, निकाय चुनाव में युवाओं की जीत नया संकेत

नई दिल्लीDec 25, 2018 / 09:55 am

धीरज शर्मा

घाटी में तीसरा विकल्प ले रहा अंगड़ाई, निकाय चुनाव में युवाओं की जीत नया संकेत

नई दिल्ली। लोकसभा 2019 से पहले देश में घटने वाली हर राजनीतिक घटना सभी राजनीतिक दलों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। जिस तरह पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणामों को सेमीफाइनल बताया जा रहा था उसी तरह निकाय चुनाव से लेकर उपचुनाव तक हर छोटी बड़ी जीत आगे की दिशा तय कर रही है। यही वजह की सभी राजनीतिक दलों का ध्यान पश्चिम बंगाल से लेकर जम्मू-कश्मीर तक बना हुआ है। घाटी की बात करें यहां इन दिनों राष्ट्रपति शासन लागू है। कांग्रेस समेत सभी दल जल्द से जल्द चुनाव चाहते हैं ताकि अपनी जीत को लोकसभा के पथ पर ले जा सकें।

राजनीतिक दल कांग्रेस-भाजपा भले ही अपने जोड़ तोड़ में लगे हों लेकिन घाटी का युवा कुछ और ही मूड में लग रहा है। जी हां यहां का युवा भी तीसरे विकल्प को तलाश रहा है। जम्मू-कश्मीर में जहां राजनीतिक दलों ने पंचायत चुनाव और निकाय चुनाव का बहिष्कार किया वहीं एक युवा ने इन चुनाव में कई युवाओं को साथ लाकर अपने उम्मीदवार उतारे। इन उम्मीदवारों ने लोगों का भरोसा भी जीता।

निकाय चुनाव में 135 उम्मीदवार जीते वहीं चुनाव जीतकर 1817 युवा पंच बन गए और 527 सरपंच। अब ये युवा मिलकर कश्मीर को वैकल्पिक राजनीति देने की दिशा में काम कर रहे हैं। ये मिलकर नया राजनीतिक दल बनाने की तैयारी में हैं जो राज्य का अगला विधानसभा चुनाव भी लड़ेगा।
कांग्रेस को मिल सकता है फायदा
दरअसल घाटी के चुनाव में युवाओं की जीत ये तो साफ कर रही है कि आगामी विधानसभा चुनाव में इनकी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। ऐेसे में सवाल उठता है कि पहले से ही सत्ता में काबिज होने का सपना देख रहे भाजपा, कांग्रेस, पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसे दलों का क्या होगा? जहां तक युवाओं की बात है इसका सीधा फायदा उस विचार धारा को मिल सकता है जो युवाओं की तरह सोचती हो और अब तक हर चुनाव में कांग्रेस ने खुद को युवा और किसानों की पार्टी बताती आ रही है। ऐसे में मुमकिन है कांग्रेस इन युवाओं को आकर्षित करने में कामयाब हो।

कुपवाड़ा के रहने वाले 27 साल के मीर जुनैद कश्मीर यूनिवर्सिटी के पहले निर्वाचित छात्रसंघ अध्यक्ष हैं। हालांकि 2009 में जब उन्होंने विश्वविद्यालय में दाखिला लिया, तब वहां छात्रसंघ चुनाव नहीं होते थे। जुनैद ने इसके खिलाफ आवाज उठाई और डेढ़ साल के अंदर ही चुनाव हो गए। इसके बाद उन्होंने युवाओं को राजनीति से जोड़ने को अपना मिशन बना लिया। जुनैद ने चुनाव बहिष्कार के बीच निकाय चुनाव में 235, पंच के चुनाव में 2013 और सरपंच के लिए 595 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। अब 2479 उम्मीदवार चुनाव जीत चुके हैं। इसमें ज्यादातर 25 से 40 साल के बीच के हैं और काफी संख्या में महिलाएं भी हैं।
नए दल की तैयारी
जुनैद के मुताबिक अब तक राजनीतिक दलों ने युवाओं को ***** बनाया है। उनके चुनाव बहिष्कार करने से उनके लोकतंत्र विरोधी होने का सच सामने आ गया है। जुनैद अब अपने जीते हुए उम्मीदवारों के साथ मिलकर नया राजनीतिक दल बनाने की तैयारी में हैं। अगले साल अप्रैल-मई से पहले यह राजनीतिक दल अस्तित्व में आ जाएगा और राज्य का विधानसभा चुनाव भी लड़ेगा।
डेमोक्रेसी को चांस
सब युवा मिलकर डेमोक्रेसी को एक मौका देना चाहते हैं। जुनैद के मुताबिक चुनाव जीतने के बाद अब राजनीतिक दल बना रहे हैं और उम्मीद है कि विधानसभा चुनाव में हम कश्मीर को राजनीति में एक विकल्प देंगे। हमारा तीसरा विकल्प राज्य के विकास का काम करेगा।

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