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छत्तीसगढ़ ने एससी-एसटी संशोधन एक्ट लागू करने के आदेश को लिया वापस, तीन राज्यों ने जारी किया था ऑर्डर

locationनई दिल्लीPublished: Apr 17, 2018 04:22:32 pm

Submitted by:

Anil Kumar

छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान की सरकार ने एससी-एसटी एक्ट में हुए संशोधनों को लागू करने के मामले में आधिकारिक तौर पर आदेश जारी कर दिए थे।

supreme court

नई दिल्ली । एसीसी-एसटी एक्ट संशोधन को लागू करने के मामले से पीछे हटते हुए छत्तीसगढ़ ने हाथ खींच लिए हैं। मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि हम हमेशा एससी-एसटी के मुद्दे पर संवेदनशील हैं, जैसा की केंद्र सरकार दलितों के प्रति संवेदनशील है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार पुनर्विचार याचिका दायर करेगी। जब तक इस मामले की पूरी सुनवाई नहीं हो जाती तबतक राज्य पुलिस को आधिकारिक तौर पर दिए गए ऑर्डर को निलंबित किया जाता है।
आपको बता दें कि इससे पहले एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के संशोधन मामले में कुछ राज्यों ने अमल करना शुरु कर दिया था जिसमें छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान की सरकार ने राज्य पुलिस को आधिकारिक तौर पर निर्देश का पालन करने के आदेश जारी कर दिए थे। हालांकि बाद में छत्तीसगढ सरकार ने आदेश को वापस लेते हुए निलंबित कर दिया है।

 

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तीन राज्यों ने एससी-एसटी संसोधन एक्ट पर जारी किए थे आदेश

आपको बता दें कि एससी-एसटी एक्ट में कुछ संशोधन करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद देश भर में दलित संगठनों ने प्रदर्शन कर विरोध दर्ज कराया था। हालांकि मोदी सरकार ने कहा था कि वे दलितों के लिए काम रहे हैं। लेकिन भाजपा शासित राज्यों ने पीएम मोदी के निर्देशों के उलट सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए राज्य सरकार को निर्देश दे दिए हैं। इन तीनों राज्यों के अलावा हिमाचल प्रदेश ने भी इस मामले में एक आदेश जारी किया है। हालांकि ये आदेश औपचारिक आदेश नहीं है। हिमाचल प्रदेश की सरकार बहुत जल्द ही इस मामले में आधिकारिक आदेश जारी करेगी।
बता दें कि एक अंग्रेजी समाचार पत्र में छपे रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने वालों में छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, और राजस्थान का नाम शामिल है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक ये तीनों राज्य अलग से सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका डालेंगे। लेकिन फिलहाल के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे।

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क्या है पूरा मामला

आपको बता दें कि एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ संशोधन करने के निर्णय लिए थे जिसमें एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामले में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाने को कहा था। साथ हीं मामला दर्ज करने से पहले पूरी छानबीन करनी जरुरी है। इस आदेश के बाद देश भर में दलित संगठनों ने प्रदर्शन कर विरोध जताया। दलित संगठनों ने दो अप्रैल को भारत बंद बुलाया था। जिसमें काफी हिंसा हुई थी और कुछ लोगों की मौत भी हुई थी। इस प्रदर्शन के बाद केंद्र सरकार ने कोर्ट में पुर्विचार याचिका दायर की थी जिसकी सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि जो लोग इस फैसले का विरोध कर रहे हैं उन्होंने हमारा आदेश ठीक ढंग से नहीं पढ़ा है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

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पीएम मोदी का भरोसा

बता दें कि पीएम मोदी ने दलित संगठनों और समुदायों को भरोसा दिलाते हुए कहा था कि हम आपके हितों की चिंता करते हैं और आपके हितों का ख्याल रखना सरकार का दायित्व है। पीएम मोदी ने इस मामले में कांग्रेस और विपक्षियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्षी दल सरकार के खिलाफ और एससी-एसटी एक्ट पर भ्रम फैला रही है। जिसका एक ताजा उदाहरण 2 अप्रैल का है। विपक्षी दल कभी आरक्षण खत्म करने जैसी भ्रम को फैलाती है तो कभी दलितों से संबंधित कानूनों को खत्म करने जैसी अपवाह फैला रही है। इधर दलित नेता जिग्नेश मेवानी ने पीएम पर आरोप लगाते हुए निशाना साधा है। मेवानी ने कहा कि पीएम मोदी दलितों के साथ सिर्फ छलावा कर रहे हैं। यदि ऐसा नहीं है तो फिर दलितों के साथ अत्याचार लगातार हो रहे हैं लेकिन पीएम खामोश रहते हैं और भाजपा के नेता दलितों के खिलाफ बयान देते रहते हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भाजपा शासित राज्यों ने लागू करने के आदेश भी जारी कर दिए हैं जबकि पीएम मोदी कहते हैं कि वे दलितों के साथ है। ये दोहरा चरित्र भाजपा की मंशा को दर्शाता है।

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