पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव को देखते हुए टीएमसी अपनी छवि बेहतर बनाने में जुटी हुई है। टीएमसी पंचायत चुनाव के अपने उम्मीदवारों को शपथ दिला रही है कि अगर वे ग्राम पंचायत और पंचायत समिति में निर्वाचित होते हैं, तो पार्टी की अनुमति के बिना सरकारी योजनाओं, कृषि उपकरण का लाभ नहीं खुद उठाएंगे और न उनके परिवार के लोग ऐसा करेंगे। इसके साथ ही ठेकेदारी, टोल बूथ और खनन जैसे कारोबार में भी वे शामिल नहीं होंगे। वे अपने प्रभाव का इस्तेमाल गैर कानूनी कार्यों के लिए नहीं करेंगे। इससे पहले तृणमूल कांग्रेस ने मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग लाने का विरोध नहीं किया था। अब चुनावी फायदे को देखते हुए पार्टी ने अपना रुख बदल दिया है। TMC का कहना है कि महाभियोग की प्रक्रिया लंबी चलेगी और अक्टूबर में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा का कार्यकाल खत्म हो जाएगा। इसके अलावा कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रहे सौमित्र सेन की तरह दीपक मिश्रा के खिलाफ स्पष्ट सबूत नहीं हैं। इस वजह से TMC ने मामले पर सुरक्षित रास्ता अपनाना बेहतर समझा।
डीएमके ने भी महाभियोग प्रस्ताव पर कांग्रेस के साथ होती नजर नहीं आ रही है। इससे हपले डीएमके के सांसदों ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे। साथ ही कांग्रेस को साथ देने का वादा किया था। अब पार्टी अपने पहले के स्टैंड से पीछे हट गई है। डीएमके नेता कनिमोझी ने कहा था कि जब संसद में मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ प्रस्ताव आएगा, तो वो उनकी पार्टी इसका समर्थन करेगी। लेकिन पार्टी का नया रुख इसके उलट है।
आपको बता दें कि कांग्रेस की अगुवाई में सात विपक्षी दलों ने राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू से मुलाकात कर शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग लाने का नोटिस दिया था। विपक्षी पार्टियों की कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की अगुवाई में बैठक हुई थी, जिसके बाद विपक्षी दलों के नेता उपराष्ट्रपति को प्रस्ताव सौंपने पहुंचे थे। अब नजर वेंकैया नायडू पर टिकी हुई हैं कि वो इस मसले पर क्या और कब तक फैसला लेते हैं। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि हम लोग ये प्रस्ताव एक हफ्ते पहले ही पेश करना चाहते थे, लेकिन उपराष्ट्रपति के पास समय नहीं था। हमने राज्यसभा की सात राजनीतिक पार्टियों के साथ मिलकर राज्यसभा के सभापति को महाभियोग का प्रस्ताव सौंप दिया है। उन्होंने कहा कि ये प्रस्ताव पांच बिंदुओं के आधार पर पेश किया गया है।