टीएमसी की ओर से करीब दो सप्ताह पहले ही पीएम मोदी ( PM Modi ) को एक चिट्ठी लिखी गई थी। इस चिट्ठी के जरिये टीएमसी ने पश्चिम बंगाल का नाम बदल कर बांग्ला रखने की मांग की थी। साथ ही पीएम मोदी से मिलने का समय भी मांगा था।
इसी चिट्ठी के बाद मिले जवाब में पीएम मोदी की ओर से मिलने का वक्त दिया गया था। इसके तहत बुदवार को टीएमसी के 12 सांसदों ने पीएम से मुलाकात की।
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आधं घंटे चली मुलाकात
टीएमसी सांसदों के साथ पीएम मोदी की बैठक करीब आधे घंटे चली। इस दौरान सभी सांसदों ने पश्चिम बंगाल का नाम बदलने जाने की मांग की। इसके साथ ही सांसदों ने पीएसयू डिसइन्वेस्टमेंट का मुद्दा भी पीएम के समक्ष रखा।
टीएमसी सांसदों के साथ पीएम मोदी की बैठक करीब आधे घंटे चली। इस दौरान सभी सांसदों ने पश्चिम बंगाल का नाम बदलने जाने की मांग की। इसके साथ ही सांसदों ने पीएसयू डिसइन्वेस्टमेंट का मुद्दा भी पीएम के समक्ष रखा।
टीएमसी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने बताया कि इससे पहले भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्र सरकार से नाम बदलने की बात कह चुकी है। 2011 से लेकर 2019 तक पार्टी लगातार कोशिश कर रही है। उधर.. गृह मंत्रालय की ओर से दिए गए जवाब में ये साफ किया जा चुका है कि प्रदेश का नाम नहीं बदला जा सकता है। इसके लिए संविधान में संशोधन की जरूरत है।
Video: राज्य सभा में अचानक रोने लगे सांसद, पीछे की वजह दिलचस्प गृह मंत्रलाय के जवाब से संतुष्ट नहीं टीएमसी
गृह मंत्रालय की ओर से दिए गए जवाब को लेकर टीएमसी संतुष्ट नहीं है। टीएमसी का कहना है कि जिस तरह ओडिशा के लिए संविधान में संशोधन किया गया था, उसी आधार पर पश्चिम बंगाल के लिए भी किया जा सकता है।
गृह मंत्रालय की ओर से दिए गए जवाब को लेकर टीएमसी संतुष्ट नहीं है। टीएमसी का कहना है कि जिस तरह ओडिशा के लिए संविधान में संशोधन किया गया था, उसी आधार पर पश्चिम बंगाल के लिए भी किया जा सकता है।
टीएमसी ने मांग ये मांग
टीएमसी ने मांग की है कि इसी सत्र में या फिर अगले सत्र में इस संशोधन को लाया जाए। आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल की विधानसभा में सर्वसम्मति से बिल पास हो चुका है।
टीएमसी ने मांग की है कि इसी सत्र में या फिर अगले सत्र में इस संशोधन को लाया जाए। आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल की विधानसभा में सर्वसम्मति से बिल पास हो चुका है।
आपको बता दें कि 26 जुलाई 2018 में पश्चिम बंगाल विधानसभा में प्रदेश का नाम बांग्ला करने का प्रस्ताव पारित हुआ था। इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए गृहमंत्रालय भेजा गया था, लेकिन जवाब में संविधान संशोधन की बात कह कर इसे रोका गया था।