राजनीति

फेक न्यूज़ के खतरे को देखते हुए चुनाव आयोग लेगा बड़ा फैसला

EC ने बनाई रणनीति, चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा फेक न्यूज़, जारी करने वालों पर होगी कड़ी कार्रवाई

नई दिल्लीOct 11, 2017 / 09:24 pm

amit2 sharma

election commission would stop fake news

नई दिल्ली। चुनावों में फेक न्यूज़ के सहारे अपने प्रतिद्वंदियों को बदनाम करने की रणनीति पूरी दुनिया में देखी जा रही है। भारत के लोकसभा चुनाव 2014 में भी इसके दुरूपयोग की खूब खबरें आयीं तो अमेरिका के राष्ट्रपति के चुनाव में भी सोशल मीडिया पर खूब फेक न्यूज़ प्रसारित किये गए। लेकिन सम्भवतः भारत में अब ऐसा नहीं हो सकेगा। चुनाव आयोग ने इस मसले को गंभीरता से लेते हुए अब इस पर रोक लगाने की तैयारी कर ली है। उम्मीद जाहिर की जा रही है कि इस मसले को भी चुनाव आचार संहिता से जोड़ दिया जाएगा जिसके उल्लंघन पर राजनीतिक दलों को दंडित किया जा सकेगा।
दरअसल, आशंका इसी बात की है कि राजनीतिक दलों के सोशल मीडिया विंग ही इस तरह के फेक न्यूज़ तैयार करते हैं और फिर उन्हें अपने कार्यकर्ताओं के द्वारा सोशल मीडिया में वायरल कराते हैं।
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जानकारी के अनुसार चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों के सोशल मीडिया अभियानों में नकली संदेशों की भूमिका को देखते हुए आयोग इस बार फेक न्यूज को लेकर अलग से एडवाइजरी जारी करेगा। आयोग का मानना है कि धर्म, जाति, सम्प्रदाय संबंधी संदेशों के साथ ही नकली संदेशों, फोटोशॉप की गई फोटो इत्यादि का भी राजनीतिक दलों के सोशल मीडिया पर सक्रिय कार्यकर्ता बड़े पैमाने पर उपयोग कर रहे हैं। इससे वे जनमत में भ्रम फैलाकर मतदान वाले दिन मतदान का रुख मोडऩे की कोशिश करते हैं। इसे देखते हुए इस बार अलग से एक एडवाइजरी जारी करने की तैयारी है। इसके लिए आयोग साइबर संसार के एक्सपर्ट अधिकारियों की टीम गठित करेगा जो चुनाव अभियान के दौरान इस तरह के संदेशों पर नजर रखेंगे। एडवाइजरी में राजनीतिक दलों को चेतावनी दी जाएगी कि अगर इस तरह के संदेश पकड़े गए तो उनके खिलाफ आचार संहिता संबंधी नियमों के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
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इधर दोनों बड़े राजनीतिक दलों की सोशल मीडिया विंग का जोर इस बार नकली संदेशों से होने वाले नुकसान को रोकने पर है। कांग्रेस की विंग ने तय किया है कि वह अपने टिवटर हैंडल, फेसबुक पेज तथा अन्य माध्यमों पर उन वेबसाइट का प्रचार करेगी जिनके जरिए कोईभी संदेश की असलियत जान सकता है। इसके अलावा उसके कार्यकर्ता भी नकली संदेशों की जांच कर अपने हैंडल, फेसबुक पेज पर डालकर फालोअर्स को चेताएंगे। इसी तरह की तैयारी भाजपा की सोशल मीडिया विंग ने भी की है। भाजपा की विंग आकार में कांग्रेस से कई गुना अधिक है, इसलिए उसने नकली संदेशों की पोल खोलने के लिए अलग से टीम बना दी है।
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