विश्वविद्यालयों के 7.5 लाख प्राध्यापकों को मिलेगा सातवें वेतन आयोग का लाभ, केंद्र ने की घोषणा जानकारी के अनुसार चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों के सोशल मीडिया अभियानों में नकली संदेशों की भूमिका को देखते हुए आयोग इस बार फेक न्यूज को लेकर अलग से एडवाइजरी जारी करेगा। आयोग का मानना है कि धर्म, जाति, सम्प्रदाय संबंधी संदेशों के साथ ही नकली संदेशों, फोटोशॉप की गई फोटो इत्यादि का भी राजनीतिक दलों के सोशल मीडिया पर सक्रिय कार्यकर्ता बड़े पैमाने पर उपयोग कर रहे हैं। इससे वे जनमत में भ्रम फैलाकर मतदान वाले दिन मतदान का रुख मोडऩे की कोशिश करते हैं। इसे देखते हुए इस बार अलग से एक एडवाइजरी जारी करने की तैयारी है। इसके लिए आयोग साइबर संसार के एक्सपर्ट अधिकारियों की टीम गठित करेगा जो चुनाव अभियान के दौरान इस तरह के संदेशों पर नजर रखेंगे। एडवाइजरी में राजनीतिक दलों को चेतावनी दी जाएगी कि अगर इस तरह के संदेश पकड़े गए तो उनके खिलाफ आचार संहिता संबंधी नियमों के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
OMG: कुत्तों का मांस खाने के लिए उन्हें बांधकर ले जाने की तस्वीरें हुई वायरल इधर दोनों बड़े राजनीतिक दलों की सोशल मीडिया विंग का जोर इस बार नकली संदेशों से होने वाले नुकसान को रोकने पर है। कांग्रेस की विंग ने तय किया है कि वह अपने टिवटर हैंडल, फेसबुक पेज तथा अन्य माध्यमों पर उन वेबसाइट का प्रचार करेगी जिनके जरिए कोईभी संदेश की असलियत जान सकता है। इसके अलावा उसके कार्यकर्ता भी नकली संदेशों की जांच कर अपने हैंडल, फेसबुक पेज पर डालकर फालोअर्स को चेताएंगे। इसी तरह की तैयारी भाजपा की सोशल मीडिया विंग ने भी की है। भाजपा की विंग आकार में कांग्रेस से कई गुना अधिक है, इसलिए उसने नकली संदेशों की पोल खोलने के लिए अलग से टीम बना दी है।
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