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इन आंकड़ों से समझिए कर्नाटक में बहुमत कहां से लाएगी भाजपा?

Published: May 18, 2018 02:31:33 pm

Submitted by:

Dhirendra

सरकार गठन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद भाजपा के लिए बहुमत जुटाने का काम पहले से ज्‍यादा पेचीदा हो गया है।

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इन आंकड़ों से समझिए कर्नाटक में बहुमत कहां से लाएगी भाजपा?

नई दिल्‍ली। कर्नाटक विधानसभा चुनाव इस बार शुरू से ही राजनीतिक दलों के पेचीदा रहा। मतदान के बाद जब परिणाम आया तो यह और पेचीदा हो गया। ऐसा इसलिए कि प्रदेश की जनता ने हंग असेंबली से लिए पोल किया। सबसे बड़ी पार्टी बनकर भाजपा उभरी लेकिन वो मैजिक नंबर तक नहीं पहुंच पाई। इसके अलावा भाजपा का खुलेतौर पर किसी ने समर्थन नहीं किया है। जबकि कर्नाटक में धुर विरोधी कांग्रेस और जेडीएस ने सत्‍ता में बने रहने के लिए हाथ मिला लिए हैं। दोनों इस अटूट गठबंधन का ही परिणाम है कि आगामी 24 घंटे भाजपा व उनके धुर विरोधी दोनों के लिए बहुत क्रिटिकल हो गया है। ऐसा इसलिए कि दोनों खेमें को इस बात की आशंका है कि फ्लोर टेस्‍ट के दौरान कहीं कोई न हो जाए। इस बात का संकेत भाजपा रणनीतिकार कांग्रेस-जेडीएस को पहले ही दे चुके हैं।
यहां फंसा है बहुमत का पेंच
कर्नाटक विधानसभा में 224 सीटों में 222 सीटों पर मतदान हुआ है। इस लिहाज से फ्लोर टेस्‍ट के दौरान बहुमत के लिए भाजपा को 112 विधायकों के समर्थन जरूरत है। भाजपा के खाते 104 विधायक हैं। इसके अलावा भाजपा को समर्थन देने की बात किसी ने खुले तौर पर नहीं की है। एक विधायक आर शंकर समर्थन देने के बाद कांग्रेस-जेडीएस खेमे में लौट आए। कांग्रेस और जेडीएस की तरफ से सीएम पद के दावेदार कुमारस्‍वामी दो सीटों पर चुनाव जीतकर आए हैं। यानि फ्लोर टेस्‍ट के दौरान उनका एक ही वोट काउंट होगा। इसके अलावा दो निर्दलीय विधायक हैं जो कल भाजपा विरोधी खेमे के साथ धरने में शामिल थे। इसके बावजूद भाजपा का दावा है वो लोग संपर्क में और भाजपा के पक्ष में ही मतदान करेंगे। इसके अलावा भाजपा का दावा है कि कांग्रेस और जेडीएस खेमे के 12 लिंगायत के विधायक वोटिंग के दौरान उनके लिए वोट करेंगे। भाजपा के दावों के विपरीत अगर ये विधायक फ्लोर टेस्‍ट के दौरान तटस्‍थ भी हो जाते हैं तो निर्णायक विधायकों की संख्‍या घटकर हो जाएगी 207। ऐसी स्थिति में बहुमत के लिए 104 विधायकों को समार्थन चाहिए होगा जो भाजपा के पास अपने दम पर है। लेकिन ये सारे समीकरण भाजपा के दावों के अनुरूप हैं। अगर ऐसा होता है तभी येदियुरप्‍पा की सरकार बच पाएगी।
विरोधी खेमे का दावा
दूसरी तरफ कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन का दावा है कि उनके पास समर्थक विधायकों की संख्‍या 116 है। इसके अलावा उन्‍हें दो निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन हासिल है। उनके धरना में निर्दलीय विधायकों के शामिल होने से फौरी तौर लगता भी यही है कि वो कांग्रेसे के साथ है। इसके अलावा कांग्रेस का दावा है कि करीब आधा दर्जन भाजपा विधायक उनके टच में हैं। ये विधायक जरूरत पड़ने पर भाजपा के खिलाफ वोट कर सकते हैं। इस लिहाज से विरोधी गुट की भाजपा में सेंधमारी की योजना है।
एससी के आदेश से और हुआ पेचीदा
येदियुरप्‍पा को सरकार बनाने के न्‍योता देने के खिलाफ आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने अपना-अपना तर्क रखा। इसके बाद सीकरी की पीठ ने भाजपा वकील के तर्क को खारिज करते हुए कल चार बजे तक का समय बहुमत हासिल करने के लिए मुकर्रर कर दी है। जबकि भाजपा ने इसके लिए एक सप्‍ताह की मांग की थी। पर ऐसा नहीं हुआ। यानि समय के अभाव में भाजपा का गेम फिर से फंस गया है। इसके बावजूद भाजपा नेताओं का दावा है कि वो बहुमत का प्रस्‍ताव जीत जाएंगे। इन दावों के विपरीत हकीकत यह है कि जीत-हार का मसला फिफ्टी-फिफ्टी के गेम में फंस गया है। ऐसा इसलिए कि दोनों तरफ से दावे बढ़ चढ़कर किए जा रहे हैं।
भाजपा का तर्क
भाजपा, कांग्रेस और जेडीएस से नाराज विधायकों को तर्क दे रही है कि लोगों ने कांग्रेस के खिलाफ वोट किया है और जेडीएस काफी अंतर से तीसरे स्थान पर है। इस विधानसभा चुनाव में 60प्लस सीटों का फायदा होने के बाद सबसे बड़ी होने का दावा करते हुए भाजपा विधायक दल के नेता येदियुरप्‍पा सीएम पद का शपथ ले चुके हैं। अब बहुमत हासिल करने की बारी है। लिंगायत विधायकों को भाजपा की तरफ ये इस बात पर भी जोर दिया जा रहा है कि वोका‍लिगा और लिंगायत के आधार पर जेडीएस ने भाजपा सरकार को गिराने का काम 2008 में जेडीएस ने गिराने का काम किया था। इसलिए लिंगायत विधायकों को भाजपा का समर्थन करना चाहिए।
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