हाजी मस्तान का चलता था सिक्का-
सत्तर व अस्सी के दशक में मुंबई में वामपंथियों की जड़ें जम चुकी थीं। कांग्रेस ने शिवसेना को परदे के पीछे से आगे बढ़ाया। वामपंथियों का तंबू मुंबई से उखड़ गया। लेकिन, मस्तान का सिक्का चल रहा था। गिरफ्तारी का आदेश मिलने पर भी पुलिस वाले उस पर अमल नहीं करते थे। मस्तान को कमजोर करने के लिए गैंगस्टर करीम लाला को शह दी गई थी। मीसा के तहत 1974 में मस्तान गिरफ्तार हुआ। इमरजेंसी के दौरान उसे फिर गिरफ्तार किया गया। जेल से छूटने पर मस्तान ने जोगेंद्र कवाडे के साथ दलित मुस्लिम सुरक्षा महासंघ पार्टी बनाई।
गवली-राजन को शह –
एक दौर ऐसा था जब अरुण गवली व अमर नाईक गिरोह का बचाव शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे करते थे। बाला साहेब की शह मिलते ही गवली की वसूली तेजी से बढ़ी। दुश्मनों को निबटाने के लिए बिल्डर-कारोबारी गवली की मदद लेते थे। जब 2008 में 30 लाख रुपए की सुपारी लेकर गवली ने नगरसेवक कमलाकर जामसांडेकर की हत्या करवा दी, तब शिवसेना उसके खिलाफ हो गई। मुंबई बम धमाकों के बाद राजन ने दाऊद गिरोह के गुंडों को मारने की कसम खाई।
अपराध की राह बढ़ा पश्तून राजा-
चालीस के दशक में अफगानिस्तान से अब्दुल करीम शेर खान मुंबई आया। वह पश्तून समुदाय का आखिरी राजा था। उसने शराफत का काम करने की जगह अपराध का रास्ता अपनाया। यही शख्स आगे चल कर करीम लाला बना। वह हीरों की तस्करी करता था। यह वह दौर था जब बॉलीवुड और अपराध जगत में दोस्ती बढ़ रही थी। करीम लाला ने कई फिल्मों में पैसा लगाया था। ‘जंजीर’ में प्राण ने जिस शेर खान की भूमिका निभाई, वह असल जिंदगी में करीम से प्रेरित है।
धमकी भरा पत्र रखने दोबारा आया था वाझे –
एनआइए को सीसीटीवी फुटेज की जांच से पता चला है कि 25 फरवरी को स्कॉर्पियो खड़ी करने के बाद निलंबित पुलिसकर्मी सचिन वाझे उद्योगपति मुकेश अंबानी को दिए जाने वाला धमकी वाला पत्र कार में रखना भूल गया था। इनोवो से फरार होने के बाद उसे ध्यान आया तो उसने फिर से मौके पर पहुंचकर स्कॉर्पियो में धमकी भरा पत्र रखा। यह फुटेज एक दुकान के सीसीटीवी से मिला है।