‘आरक्षण एक जुमला से ज्यादा कुछ नहीं’
सिन्हा ने कानूनी जटिलताओं और समय की कमी का हवाला देते हुए सरकार की इच्छा पर सवाल उठाया, क्योंकि संसद का वर्तमान सत्र मंगलवार को समाप्त हो रहा है। यशवंत सिन्हा ने ट्वीट कर कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णो को 10 फीसदी आरक्षण एक जुमला से ज्यादा कुछ नहीं है। इसमें कई कानूनी जटिलताएं हैं और संसद के दोनों सदनों के पास इसे पारित करने का वक्त नहीं है। सरकार का कदम पूरी तरह से बेनकाब हो गया है।
आर्थिक आधार पर सवर्णों को आरक्षण देने का ऐलान
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णो को सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण को सोमवार को मंजूरी दे दी। खबर है कि मंगलवार को संसद का अंतिम दिन होने के कारण इस सत्र में दोनों सदनों से इस विधेयक पेश तो करेगी लेकिन इसके पारित होने की संभावना न के बराबर है। वो भी तब राज्यसभा में सत्ता पक्ष के पास जरूरी बहुमत नहीं है। संविधान संशोधन विधेयक होने के नाते इसके लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी। चुनावी साल होने के कारण सरकार के इस फैसले से अभी से राजनीतिक शतरंज की बिसात बिछ गई है।