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Uttarakhand Political Crisis: जानिए किस वजह से सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कार्यकाल पूरा होने से पहले दिया इस्तीफा

locationनई दिल्लीPublished: Mar 09, 2021 09:49:13 pm

Submitted by:

Anil Kumar

HIGHLIGHTS

सियासी अटकलों के बीच मंगलवार को उत्तराखंड के मुख्‍यमंत्री त्र‍िवेंद्र सिंह रावत ने अपने पद से इस्‍तीफा देकर सबको चौंका दिया।

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Uttarakhand Political Crisis: Know why CM Trivendra Singh Rawat resigns before completion of term

देहरादून। उत्तराखंड की भाजपा सरकार के अंदर काफी दिनों से सियासी उथल-पुथल चल रहा था और नेतृत्व परिवर्तन को लेकर अटकलें लगाई जा रही थी। इस सियासी अटकलों के बीच मंगलवार को मुख्‍यमंत्री त्र‍िवेंद्र सिंह रावत ने अपने पद से इस्‍तीफा देकर सबको चौंका दिया। हालांकि, जब रावत से इस्तीफे को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कोई सप्ष्ट जवाब नहीं दिया और कहा ये जानने के लिए आपको (मीडिया) दिल्ली जाना पड़ेगा।

ऐसे में त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। राज्य के लोग समेत तमाम लोग ये जानना चाहते हैं कि ऐसा कौन सा कारण है जिसकी वजह से कार्यकाल खत्म होने से एक साल पहले ही त्रिवेंद्र सिंह रावत को इस्तीफा देना पड़ा और वे इसके कारण को बताना तक नहीं चाहते हैं, न ही इस पर हाई कमान मुंह खोलने को तैयार है।

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इस बीच सीएम रावत के इस्तीफे को लेकर सियासी गलियों में कई तरह की जानकारियां घूम रही हैं। माना जा रहा है कि मुख्‍यमंत्री रावत की कार्यशैली ही उनके लिए सबसे बड़ी मुसीबत बन गई। भले ही सार्वजनिक तौर पर किसी मंत्री या विधायक ने ये कभी नहीं जताया कि वे सीएम के कार्यशैली से नाराज हैं, लेकिन वे समय-समय पर केंद्रीय नेतृत्व से अपनी शिकायत से अवगत कराते रहते थे।

लिहाजा, अब जब सर पानी से उपर चला गया और सरकार व पार्टी के अंदर खींचातानी शुरू हो गई, तो केंद्रीय नेतृत्व ने फौरन दखल दिया और परिस्थितिजन्य जरूरी कदम उठाया। सियासी गलियों में घूम रही जानकारी के अनुसार, सीएम रावत के इस्तीफे के पीछे कई कारण है, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं..

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विधायकों और नेताओं में बढ़ता असंतोष

कहा जा रहा है कि भाजपा के कई नेता और विधायक मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से नाराज थे। विधायकों की नाराजगी ही सीएम रावत को भारी पड़ गया और अब कार्यकाल पूरा करने से एक साल पहले उन्हें पद छोड़ना पड़ा है। माना जा रहा है कि सीएम रावत के इस्तीफे का मुख्य कारण उनकी सरकार की चौथी वर्षगांठ से ठीक 12 दिन पहले प्रदेश इकाई में विधायकों और गुटीय नेताओं में बढ़ता असंतोष है।

इसके अलावा ये भी कहा जा रहा है कि राज्य में चल रहे विकास परियोजनाओं में धीमी प्रगति और शासन के पहलू में कमी से शीर्ष नेतृत्व खफा था, जिसकी वजह से प्रदेश इकाई में गुटबाजी तेज हो गई। मौजूदा विधानसभा के बजट सत्र में गैरसैंण को कमिश्‍नरी बनाने का निर्णय जिस तरह से किया गया, उससे भाजपा विधायकों में और भी असंतोष बढ़ा। कई भाजपा नेताओं ने इसका विरोध भी किया।

मुख्यमंत्री की कार्यशैली

सियासी गलियों में सीएम रावत के इस्तीफे का मूल कारण जो बताया जा रहा है उसके अनुसार, मुख्यमंत्री की कार्यशैली अहम है। चर्चा है कि सीएम रावत कोई भी फैसला बिना चर्चा के और बाकी लोगों को विश्वास में लिए बिना ही करते हैं। जो कि मंत्रियों को पसंद नहीं है और वे इस तरह की कार्यशैली को स्वीकार करने की स्थिति में नहीं थे।

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अब चूंकि एक साल बाद विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में सीएम रावत की कार्यशैली को लेकर सवालों के घेरे में आ रही भाजपा उन्हें चेहरे के तौर पर आगे बढ़ाने की स्थिति में सहज नहीं लग रही थी। साथ ही सीएम रावत को लेकर आरएसएस की रिपोर्ट भी पक्ष में नहीं था। ऐसे में सीएम रावत के पास इस्तीफा देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।

कैबिनेट के सभी 12 पद खाली

राज्य में विधायकों के नराजगी का एक कारण ये भी रहा है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद कैबिनेट के सभी 12 पदों को सीएम रावत ने नहीं भरा। इसके अलावा दो मंत्री पद खाली हैं। ऐसे में अब ये कयास लगाए जा रहे थे कि मंत्रीमंडल का विस्तार होने वाला है, लेकिन इसपर कोई फैसला नहीं हो सका।
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