‘यूपीए सरकार ने अपराधियों को बचाया’
कुमार ने एक बयान जारी कर कहा कि हिन्दू आतंकवाद का शिगूफा रच कर निर्दोष हिन्दुओं को फंसाने के षडयंत्र की आड़ में विस्फोट करने वाले वास्तविक अपराधियों को बचा ले गई तत्कालीन कांग्रेस सरकार। असली अपराधियों के छूटने पर यदि कोई सर्वाधिक प्रसन्न हुआ था, तो वह था पाकिस्तान, जिसके लोग आसानी से भागने में सफल रहे।
कुमार ने एक बयान जारी कर कहा कि हिन्दू आतंकवाद का शिगूफा रच कर निर्दोष हिन्दुओं को फंसाने के षडयंत्र की आड़ में विस्फोट करने वाले वास्तविक अपराधियों को बचा ले गई तत्कालीन कांग्रेस सरकार। असली अपराधियों के छूटने पर यदि कोई सर्वाधिक प्रसन्न हुआ था, तो वह था पाकिस्तान, जिसके लोग आसानी से भागने में सफल रहे।
खुल गई कांग्रेस की कलई
विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल की तरफ से जारी बयान में कुमार ने यह भी कहा है कि इस फैसले से मुस्लिम तुष्टीकरण की आड़ में हिन्दुओं को दोयम दर्जे का नागरिक तथा जांच एजेंसियों को राजनैतिक मोहरा बनाने की तत्कालीन सरकार की घृणित नीति की भी कलई खुल गई है।
विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल की तरफ से जारी बयान में कुमार ने यह भी कहा है कि इस फैसले से मुस्लिम तुष्टीकरण की आड़ में हिन्दुओं को दोयम दर्जे का नागरिक तथा जांच एजेंसियों को राजनैतिक मोहरा बनाने की तत्कालीन सरकार की घृणित नीति की भी कलई खुल गई है।
मक्का मस्जिद विस्फोट के सभी आरोपी बरी
बता दें कि एनआईए की एक अदालत ने वर्ष 2007 में यहां की मक्का मस्जिद में हुए विस्फोट मामले के सभी पांचों आरोपियों को सोमवार को बरी कर दिया। इस आतंकवादी घटना में जान गंवाने वाले नौ लोगों के परिजन 11 साल से न्याय की उम्मीद लगाए हुए थे, मगर उन्हें निराशा हाथ लगी है, क्योंकि ये पांच निर्दोष हैं तो दोषी कौन है, इसका जवाब उन्हें नहीं मिल पाया है। 18 मई, 2007 को प्रतिष्ठित चारमीनार के पास स्थित मस्जिद में जुमे की नमाज के दौरान शक्तिशाली विस्फोट में नौ लोगों की मौत हो गई थी और 58 लोग घायल हो गए थे। इस घटना के 11 साल बाद अदालत ने पाया है कि इन अभियुक्तों के खिलाफ कोई आरोप साबित नहीं हुआ है।
बता दें कि एनआईए की एक अदालत ने वर्ष 2007 में यहां की मक्का मस्जिद में हुए विस्फोट मामले के सभी पांचों आरोपियों को सोमवार को बरी कर दिया। इस आतंकवादी घटना में जान गंवाने वाले नौ लोगों के परिजन 11 साल से न्याय की उम्मीद लगाए हुए थे, मगर उन्हें निराशा हाथ लगी है, क्योंकि ये पांच निर्दोष हैं तो दोषी कौन है, इसका जवाब उन्हें नहीं मिल पाया है। 18 मई, 2007 को प्रतिष्ठित चारमीनार के पास स्थित मस्जिद में जुमे की नमाज के दौरान शक्तिशाली विस्फोट में नौ लोगों की मौत हो गई थी और 58 लोग घायल हो गए थे। इस घटना के 11 साल बाद अदालत ने पाया है कि इन अभियुक्तों के खिलाफ कोई आरोप साबित नहीं हुआ है।