उन्होंने कहा कि आज, भारत संभावनाओं और सामर्थ्य से परिपूर्ण देश है जो चतुर्दिक विकास के पथ पर तेज़ी से बढ़ रहा है। आज जब हम ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मना रहे हैं, यह समय है कि हमारे महान क्रांतिकारियों और स्वाधीनता सेनानियों की प्रेरणास्पद शौर्य गाथाएं बारंबार सुनी और सुनायी जाएं जिससे हमारी युवा पीढ़ी को राष्ट्रभक्ति, बलिदान तथा सेवा जैसे सद्गुणों को आत्मसात करने की प्रेरणा मिल सके।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज इस स्वाधीनता दिवस के अवसर पर हम “भारत” के सभ्यतागत संस्कारों तथा संवैधानिक मूल्यों के प्रति पुनः कटिबद्ध हों तथा एक समावेशी, प्रगतिशील तथा समृद्ध भारत के निर्माण के लिए स्वयं को समर्पित करें।