एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मीडिया से चर्चा के दौरान पूछा बड़ा सवाल।
पूछा- अगर भाजपा, कांग्रेस, सीपीएम, टीएमसी बंगाल में रैली कर सकती है, तो हम क्यों नहीं।
सीएम ममता बनर्जी के भतीजे के संसदीय क्षेत्र में ओवैसी की रैली को पुलिस ने नहीं दी अनुमति।
हैदराबाद (तेलंगाना)। पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार पर निशाना साधते हुए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को कहा कि अगर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कांग्रेस, सीपीएम और टीएमसी राज्य में चुनावी रैली कर सकते हैं तो उनकी पार्टी ऐसा क्यों नहीं कर सकती।
Big News: मुफ्त कोरोना वैक्सीन के लिए हो जाइए तैयार, 1 मार्च से निजी अस्पतालों में भी शुरू होगा टीकाकरण, ये रही शर्तें ओवैसी ने मीडियाकर्मियों से चर्चा के दौरान कहा, “अब तक आदर्श आचार संहिता लागू नहीं हुई है। अगर वे आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले ही हमें अनुमति देने से इनकार कर रहे हैं, तो कैसे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव होगा? नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा रैलियां कर रहे हैं। अगर कांग्रेस, सीपीएम, टीएमसी रैलियां आयोजित कर सकते हैं, फिर हम क्यों नहीं कर सकते?”
उन्होंने आरोप लगाया कि टीएमसी पाखंड करती है क्योंकि पार्टी दिल्ली और पश्चिम बंगाल में अलग-अलग काम करती है। उन्होंने कहा, “टीएमसी के सांसद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, संविधान, संसद में असंतोष के बारे में बोलते हैं। लेकिन, उनके दो चेहरे हैं। वे दिल्ली में एक बात कहते हैं और बंगाल में ठीक इसके विपरीत बात करते हैं। अगर मैं वहां एक सार्वजनिक बैठक करना चाहता हूं, तो मुझे अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है? धर्मनिरपेक्ष, उदारवादी लोग जो टीएमसी सांसदों के भाषणों को सुनकर ताली बजाते हैं, को विचार करना चाहिए। यह स्पष्ट रूप से टीएमसी के दोहरेपन और पाखंड को दर्शाता है।”
इस रैली के साथ ओवैसी को बंगाल विधानसभा चुनावों से पहले अपनी पार्टी के अभियान को शुरू करना था। यह रैली कोलकाता के मुस्लिम-बहुल मेटिआब्रुज क्षेत्र में होनी थी। यह इलाका अभिषेक बनर्जी के प्रतिनिधित्व वाले संसदीय क्षेत्र में है और वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे हैं।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल एआईएमआईएम के लिए एक महत्वपूर्ण राज्य है क्योंकि पार्टी ने बिहार में पांच सीटें हासिल करने के बाद पूर्वी भारत में अपने पंख फैला लिए हैं। पश्चिम बंगाल की 294 विधानसभा सीटों के लिए विधानसभा चुनाव अप्रैल-मई में होने की संभावना है। हालांकि, चुनाव आयोग को अभी अंतिम तारीखों की घोषणा करना बाकी है।