अगर पुराने ट्रेंड पर एक नज़र डालें तो हिमाचल लगातार किसी पार्टी को सत्ता देने में संकोच करता रहा है. यानी यहां एक बार भाजपा तो उसके अगली बार कांग्रेस को मौका मिलता रहा है. इस लिहाज से भाजपा को हिमाचल से काफी उम्मीद हो सकती है. उसकी उम्मीदें इस बात से भी मजबूत हो सकती हैं कि प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर ने राज्य के युवाओं के बीच एक ख़ास पहचान बनाई है. बीसीसीआई के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने राज्य में क्रिकेट को बढ़ावा देकर युवाओं में अपनी लोकप्रियता बढ़ाई है. धर्मशाला में एक क्रिकेट स्टेडियम बनवाकर युवाओं को अपना दीवाना बना लिया है. सैनिकों की बहुलता वाले राज्य में सैनिकों को OROP देकर मोदी सरकार ने उन्हें अपनी तरफ खींचने में कोई कमी नहीं छोड़ी है.
गंगा की सफाई के मोर्चे पर फेल हो गयी मोदी सरकार! मंत्री ने कहा, 2019 के पहले साफ़ नहीं हो पाएगी गंगा वहीं कांग्रेस के लिए ये चिंता की बात हो सकती है कि उसके मौजूदा सीएम वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं. सीबीआई उनसे पूछताछ करती रही है और उनके दिल्ली सहित हिमाचल के अनेक ठिकानों पर छापे पड़ते रहे हैं. इस हिसाब से कांग्रेसी दावेदारी कुछ कमजोर पड़ती दिख रही है. हलांकि वीरभद्र सिंह पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर जनता की क्या प्रतिक्रिया होती है, इस पर बहुत कुछ निर्भर करता है. वह इसे भ्रष्टाचार का मामला मानती है या एक राजनीतिक हथकंडा, यह देखने वाली बात होगी. खुद वीरभद्र सिंह इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताते रहे हैं और खुद राहुल गांधी अपने पिछले दौरे पर उन्हें सातवीं बार मुख्यमंत्री बनने का दावेदार बता गए हैं.
बिहार के दो दर्जन विधायकों की सम्पत्ति में 200 फीसदी का इजाफा, खतरे में पड़ सकती है सदस्यता ये हैं पिछले चुनावों के आंकड़े वीरभद्र सिंह ने 4 नवंबर 2012 को सम्पन्न हुए पिछले चुनाव में भाजपा की सत्ता को हटाकर बड़ी जीत दर्ज की थी. 68 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस को 36 सीटों पर सफलता मिली थी. यह आंकड़ा पिछले चुनाव के मुकाबले तेरह सीट ज्यादा था. जबकि चुनाव हारने वाली भाजपा को सिर्फ 26 सीटों पर सफलता मिली थी जो उनके पिछले चुनाव के मुकाबले 16 सीट कम थी. इस चुनाव में सबसे बड़ी जीत कांग्रेस के मोहन लाल बराकता ने दर्ज की थी जिन्होंने 28415 वोटों के अंतर से भाजपा के बालक राम नेगी को हराया था.
इस चुनाव में भी तत्कालीन प्रेम कुमार धूमल सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे. शांताकुमार, श्याम जाजू और जेपी नड्डा जैसे बड़े नताओं ने इस मुद्दे को खारिज करने की कोशिश अवश्य की थी, लेकिन जनता ने धूमल सरकार को उखाड़ फेंका.
इस चुनाव में भी तत्कालीन प्रेम कुमार धूमल सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे. शांताकुमार, श्याम जाजू और जेपी नड्डा जैसे बड़े नताओं ने इस मुद्दे को खारिज करने की कोशिश अवश्य की थी, लेकिन जनता ने धूमल सरकार को उखाड़ फेंका.