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शीतकालीन सत्र में ‘एक्‍शन’ से 12 सांसद निलंबित, क्या है नियम? क्या रहा है निलंबित होने का इतिहास

locationनई दिल्लीPublished: Nov 30, 2021 12:52:22 pm

Submitted by:

Mahima Pandey

राज्यसभा ने एक नोटिस जारी कर सभी 12 सांसदों को सूचित किया है कि ‘मानसून सत्र के आखिरी दिन कई विपक्षी नेता ने न केवल हंगामा किया था, बल्कि सुरक्षाकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार भी किया था। इसलिए सभी को नियम 256 के अनुसार इस सत्र के लिए निलंबित किया जाता है।’
विपक्ष के विरोध के बावजूद सांसदों का निलंबन खारिज करने से सभापति वेंकैया नायडू ने इनकार कर दिया है

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संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होते ही 12 सांसदों को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया है। इस निलंबन को लेकर पूरा विपक्ष एकजुट हो विरोध कर रहा है। सांसदों का निलंबन खारिज करने से सभापति वेंकैया नायडू ने इनकार कर दिया। उन्होंने विपक्ष से कहा कि 12 सांसदों का निलंबन नियमों के मुताबिक किया गया है, ऐसे में वो चाहे तो आज चर्चा का हिस्सा बन सकते हैं या सदन से वॉकआउट कर दें।अब इस निलंबन के विरोध में लोकसभा के बाद राजसभा से भी विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया है।
दरअसल, ये वही सांसद हैं जिन्होंने मानसून सत्र में किसान आंदोलन एवं अन्य कई मुद्दों को लेकर चर्चा की बजाय सदन में हंगामा किया था। इनमें कांग्रेस के छह, टीएमसी के दो, शिवसेना के दो और सीपीएम और सीपीआई के एक एक सांसद शामिल हैं, जिन्हें निलंबित किया गया है।
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विपक्ष ने इस निलंबन का विरोध करते हुए संयुक्त बयान जारी किया है। विपक्ष ने कहा कि यह राज्यसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों का उल्लंघन है। इसके साथ ही विपक्ष आज इसपर संयुक्त बैठक कर रहा है। विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार बातचीत कर निलंबन को वापस करवाए अन्यथा वो संसद के बाहर और अंदर प्रदर्शन करेंगे। हालांकि, भाजपा ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यदि विपक्ष स्पीकर से माफी मांग लें तो उनका निलंबन सभापति द्वारा वापस लिया जाएगा, परंतु विपक्ष झुकने को तैयार नहीं है।

राज्यसभा ने एक नोटिस जारी कर सभी को सूचित किया है कि ‘मानसून सत्र के आखिरी दिन कई विपक्षी नेता ने न केवल हंगामा किया था, बल्कि सुरक्षाकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार भी किया था। इसलिए सभी को नियम 256 के अनुसार इस सत्र के लिए निलंबित किया जाता है।’

किन नियमों के तहत स्पीकर करता है निलंबित ?

राज्य सभा में प्रक्रिया तथा कार्य-संचालन विषयक नियम 256 में सांसद के निलंबन का प्रावधान है, जबकि नियम 255 में लघुतर सजा का प्रावधान है। वहीं, लोकसभा में नियम 373 और 374 के जरिए अध्यक्ष किसी भी सांसद को निलंबित करता है। राज्यसभा सांसद के निलंबन हेतु सभापति सदन के कार्य में बाधा डालने वाले का नाम ले सकता है, तब उसे सदन से बाहर जाना आवश्यक है।

इसी नियम के तहत राज्यसभा के सांसदों को निलंबित किया गया है। इस नियम के अनुसार सभापीठ के अधिकारों की उपेक्षा करने या जानबूझकर राज्यसभा के कार्य में बाधा डालने पर, नियमों का दुरुपयोग करने वाले सदस्य को सभापति चाहे तो शेष सत्र के लिए निलंबित कर सकता है। निलंबन होते ही उस सदस्य को सदन छोड़कर बाहर जाना होगा। ये निलंबन केवल उसी सत्र तक के लिए वैध रहेगा।

सभापति को यदि किसी भी नेता का आचरण अव्यवस्थापूर्ण लगता है तो वो उसे राज्यसभा से बाहर जाने का निर्देश दे सकता है। ये नियम केवल उसी दिन लागू रहेगा।

हाँ, ये निलंबन वापस लिया जा सकता है, परंतु ये राज्यसभा के सभापति पर निर्भर करता है। यदि हंगामा मचाने वाले निलंबित सांसद माफी मांग लें तो सभापति इस निलंबन को वापस ले सकते हैं।

क्या सांसदों का निलंबन एक्सट्रीम कदम है?

वास्तव में सांसदों के अनियंत्रित व्यवहार का समाधान दीर्घकालिक और लोकतान्त्रिक मूल्यों के अनुसार किया जाना चाहिए। हालांकि, कार्यवाही के सुचारु रूप से संचालन के लिए पीठासीन अधिकारी के सर्वोच्च अधिकार का मान रखा जाना आवश्यक है। फिर भी सदन की कार्यवाही के लिए संतुलन को बनाए रखना भी आवश्यक है। पीठासीन अधिकारी का कार्य सदन का संचालन करना है न कि उसपर शासन करने का। विपक्षी नेताओं को पूरे सत्र के लिए निलंबित किया जाना सरकार द्वारा लाये गए प्रस्ताव को पारित करने या उसपर चर्चा करने का समय विपक्ष से छीनने जैसा है। ये भी एक तथ्य है कि संसद में अगर विपक्ष कमज़ोर होता है तो सत्ता पक्ष मनमाने तरीके से कानून लागू कर सकता है और सदन में किसी मुद्दे पर अच्छी बहस मज़बूत विपक्ष के बिना संभव नहीं है।

स्वस्थ लोकतंत्र के लिए सरकार के सामने एक मजबूत विपक्ष का होना आवश्यक माना जाता है क्योंकि विपक्ष सरकार के कार्यों और नीतियों पर सवाल करता है, और उसे तानाशाही होने से रोकता है। गौरतलब है कि विपक्ष में रहते हुए जब भी अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और भैरो सिंह शेखावत जैसे नेता संदन में बोलते थे, सत्ता पक्ष उनकी बातों को सुनता था।

पहले भी हुए हैं निलंबन

हालांकि, ये पहली बार नहीं है जब सांसदों का इस तरह से निलंबन किया गया हो इससे पहले भी ऐसा किया जा चुका है।

बता दें कि मानसून सत्र में इनमें से विपक्ष के कुछ सांसदों ने उप सभापति हरिवंश पर कागज फेंका था, और सदन के टेबल तक पर चढ़ गए थे। पहले विपक्ष ने आरोप लगाए कि भाजपा ने बाहरी लोगों को सदन में हंगामा करने के लिए बुलाया था, परंतु वीडियो सामने आने पर कहानी विपरीत थी।

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सदन में हंगामे से जुड़े वीडियो में ये भी सामने आया था कि सदन के मार्शलस के साथ भी दुर्व्यवहार किया गया था। इन घटनाओं के बाद राज्यसभा के स्पीकर एम. वेंकैया नायडू को एक्शन लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। उस समय अपने निर्णय में सभापति भावुक भी नजर आए थे। तब उन्होंने कहा था कि ‘विपक्ष सदन की मर्यादा भूल गया है, ऐसी घटना दोबारा नहीं होनी चाहिए।’
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