क्या लिखा है पत्र में
मुख्यमंत्री जगनमोहन ने प्रधान न्यायाधीश को यह पत्र छह अक्टूबर को लिखा था लेकिन दो दिन पहले उनके प्रमुख सलाहकार अजेय कल्लम ने मीडिया के सामने खुलासा किया। पत्र में उन्होंने आरोप लगाया है कि चंद्रबाबू नायडू सरकार की ओर से जून 2014 से मई 2019 के बीच की गई सभी डीलों की जांच के आदेश वाइएसआर कांग्रेस पार्टी ने दिए थे। जस्टिस एनवी रमन्ना राज्य में न्याय प्रशासन को प्रभावित करने में जुटे हैं। उन्होंने इससे जुड़े मामलों की सुनवाई भी प्रभावित की है। वह हाईकोर्ट के काम में दखलअंदाजी कर रहे हैं और जजों को प्रभावित कर रहे हैं। पत्र में उन मौकों का भी जिक्र किया है, जब तेलुगुदेशम पार्टी से जुड़े केसों को कुछ सम्मानीय जजों की सौंपा गया था। साथ ही लिखा है कि जस्टिस रमन्ना की बेटियां जमीन की खरीद-फरोख्त में शामिल रहीं हैं।
पत्र में इन बातों को बनाया आधार
मुख्यमंत्री ने पत्र में आरोप लगाया है कि जमीन लेन-देन मामले को लेकर राज्य के पूर्व एडवोकेट जनरल दम्मलपति श्रीनिवास पर जो जांच बैठी है, उस पर हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश दिया है, जबकि एंटी-करप्शन ब्यूरो ने उनके खिलाफ प्राथमिकी तक दायर की थी। गौरतलब हो कि 15 सितंबर को हाईकोर्ट ने एसीबी की तरफ से पूर्व एडवोकेट जनरल पर दर्ज की गई एफआइआर की विस्तृत रिपोर्ट करने से मीडिया को रोक दिया था। यह एफआइआर श्रीनिवास पर अमरावती में जमीन खरीद को लेकर दर्ज हुई थी।
कौन हैं जस्टिस रमन्ना
प्रधान न्यायाधीश के बाद दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश नथालपति वेंकट रमन्ना का जन्म 27 अगस्त 1957 को आंध्रप्रदेश के कृष्णा जिले में एक कृषक परिवार में हुआ। इससे पहले, वह दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश थे। आंध्र प्रदेश न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया है। वह 26 अगस्त 2022 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।