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एसटी/एसटी एक्‍ट: सुप्रीम कोर्ट का क्‍या है फैसला, क्‍यों मचा है घमासान?

locationनई दिल्लीPublished: Apr 02, 2018 11:03:50 am

आज देश भर में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर जारी है विरोध प्रदर्शन।

supreme court
नई दिल्‍ली। सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को महाराष्‍ट्र के एक मामले को लेकर एससी/एसटी एक्ट में नई गाइडलाइन जारी की थी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ आज देश भर में विरोध प्रदर्शन जारी है। केन्‍द्र सरकार ने बड़े पैमाने पर इसका विरोध को देखते हुए आज शीर्ष अदालत में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी। इस बीच चर्चा यह है कि दलित संगठनों के लोग आखिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इतना विरोध क्‍यों कर रहे ? जानिए क्‍या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला और क्‍या है इसको लेकर दिशानिर्देश…
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट 1989 में सीधे गिरफ्तारी पर रोक लगाने का फैसला किया था। कोर्ट ने कहा था कि एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में तुरंत गिरफ्तारी की जगह शुरुआती जांच हो। कोर्ट ने कहा था कि केस दर्ज करने से पहले डीएसपी स्तर का अधिकारी पूरे मामले की प्रारंभिक जांच करेगा और साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि कुछ मामलों में आरोपी को अग्रिम ज़मानत भी मिल सकती है। बता दें कि एनसीआरबी 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में जातिसूचक गाली-गलौच के 11,060 मामलों की शिकायतें सामने आई थी। इनमें से दर्ज हुईं शिकायतों में से 935 झूठी पाई गईं।
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन की 5 खास बातें :
1. एससी/एसटी एक्ट-1989 के तहत एफआईआर दर्ज होने के बाद आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी नहीं होगी। इसके पहले आरोपों की डीएसपी स्तर का अधिकारी जांच करेगा। यदि आरोप सही पाए जाते हैं तभी आगे की कार्रवाई होगी।
2. जस्टिस एके गोयल और यूयू ललित की बेंच ने गाइडलाइन जारी करते हुए कहा था कि संसद ने यह कानून बनाते समय यह विचार नहीं किया इस एक्‍ट का दुरूपयोग भी हो सकता है। देशभर में ऐसे कई मामले सामने आई जिसमें इस अधिनियम के दुरूपयोग हुआ है।
3. शीर्ष अदालत के दिशानिर्देश में सरकारी कर्मचारियों को भी शामिल किया गया है। यदि कोई सरकारी कर्मचारी अधिनियम का दुरूपयोग करता है तो उसकी गिरफ्तारी के लिए विभागीय अधिकारी की अनुमति जरूरी होगी। यदि कोई अधिकारी इस गाइडलाइन का उल्लंघन करता है तो उसे विभागीय कार्रवाई के साथ कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई का भी सामना करना होगा। आम आदमियों के लिए गिरफ्तारी जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसएसपी) की लिखित अनुमति के बाद ही होगी।
4. अब एससी/एसटी एक्ट के तहत आरोपी की अग्रिम जमानत पर मजिस्ट्रेट विचार करेंगे और अपने विवेक से जमानत मंजूर और नामंजूर करेंगे।
5. अब तक एससी/एसटी एक्ट के तहत यह होता था कि यदि कोई जातिसूचक शब्द कहकर गाली-गलौच करता है तो इसमें तुरंत मामला दर्ज कर गिरफ्तारी की जा सकती थी। इन मामलों की जांच अब तक इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अधिकारी करते रहे हैं। आपको बता दें कि ऐसे मामलों में कोर्ट अग्रिम जमानत नहीं देती थी। नियमित जमानत केवल हाईकोर्ट के द्वारा ही दी जाती थी। लेकिन अब कोर्ट इसमें सुनवाई के बाद ही फैसला लेगा।

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