RSS की आर्थिक शाखा एसजेएम ने चीन से MFN का दर्जा वापस लेने की मांग की, पीएम से स… सपा-बसपा गठबंधन की घोषणा के बाद और आक्रामक हुईं माया मई, 2018 में कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार बनने के समय विपक्षी दलों के जमावड़े और मंच पर सोनिया गांधी की मायावती से नजदीकियों से इस बात के कयास लगाए जाने लगे थे कि कांग्रेस, मायावती और अखिलेश यादव को लेकर महागठबंधन को मजबूत आकार देने में जुटी है। बसपा प्रमुख ने भी उस समय उत्साहित रवैया अख्तियार किया था लेकिन मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस के साथ सीटों के तालमेल को लेकर खटास उत्पन्न होने के बाद से दोनों पार्टियों के बीच दूरियां बढ़ती गईं।
लोकसभा चुनाव में भी इन राज्यों में सीटों के आवंटन को लेकर कांग्रेस ने बसपा को सकारात्मक संकेत नहीं दिए। बसपा प्रमुख ने तो अब इन राज्यों में लोकसभा प्रत्याशी उतारने के साथ रायबरेली और अमेठी में भी बसपा उम्मीदवार उतारने के संकेत दे दिए हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बीच गठबंधन के बाद से उन्होंने सियासी तोप का मुंह भाजपा के बदले कांग्रेस की ओर कर दिया है। कमोवेश अखिलेश का रवैया भी वैसा ही है।
अमरीका ने खशोगी के बहाने सऊदी शाही शासन को माना मानवाधिकार उल्लंघन का दोषी राहुल की महत्वाकांक्षी योजना पर बोला हमला दरअसल, बसपा और कांग्रेस का वोटबैंक बहुत हद तक एक जैसा है। मुसलमान, दलित, अति पिछड़ा वोट सपा का कोर वोट बैंक है। कांग्रेस के इतिहास को झांककर देखें तो उसका भी कोर वोट बैंक यही रहा है। कांसीराम और मायावती ने बसपा के शुरुआती दौर में कांग्रेस के वोट बैंक पर ही कब्जा जमाया और अपनी सियासी जमीन मजबूत की।
यही कारण है कि मायावती ने
राहुल गांधी की महत्वाकांक्षी न्यूनतम आमदनी गारंटी योजना की खिल्ली उड़ाते हुए सवाल किया था कि उनका यह वादा भी कहीं कांग्रेस के ही पूर्व में दिए गए गरीबी हटाओ जैसे नारे की तरह मजाक तो साबित नहीं होगा?
बता दें कि जनवरी में राहुल गांधी ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव के बाद सत्ता में आती है तो हर व्यक्ति की न्यूनतम आमदनी सुनिश्चित की जाएगी।
मसूद अजहर का साथ देकर घिरा चीन, UNSC के बाकी 4 देश ले सकते हैं कोई बड़ा फैसला भाजपा के खिलाफ भी नरमी के संकेत नहीं ये बात सही है कि इन दिनों मायावती की सियासी चाल से कांग्रेस को लगातार झटका लग रहा है। वह राहुल पर निशाना साधने का एक भी मौका जाया नहीं करतीं लेकिन भाजपा को भी उन्होंने खुश होने का मौका नहीं दिया है। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की ओर से किए गए अच्छे दिन के जुमले के खिलाफ जमकर बयान दे रही हैं। वह लगतार भाजपा की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रही हैं।