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खिलाड़ी को खिलाड़ी की जरुरत क्यों?
तीन चरणों के मतदान के बाद आखिर ऐसा क्या हो गया कि देश के सबसे बड़े पॉलिटिकल ‘ब्रांड’ नरेंद्र मोदी को अक्षय कुमार के साथ स्क्रीन शेयर करना पड़ रहा है। जबकि नरेंद्र मोदी के स्टाइल पर नजर डाले तो यह स्पष्ट है कि जब वे खुद सामने आते हैं तो वो किसी के साथ स्क्रीन शेयर करना पसंद नहीं करते हैं। आखिर देश के सबसे बड़े राजनीतिक खिलाड़ी नरेंद्र मोदी को बॉलीवुड के खिलाड़ी कुमार की जरुरत क्यों पड़ी?
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अक्षय ने इंटरव्यू किसके और किसलिए किया?
आखिर अक्षय कुमार ने यह इंटरव्यू किसके और किस लिए किया? अक्षय कुमार को इससे पहले कभी नेता का इंटरव्यू करते नहीं देखा गया है। उन्होंने संभवत: पहली बार किसी पॉलिटिकल फिगर का इंटरव्यू किया है। वो भी नरेंद्र मोदी का। अब सवाल ये भी है कि उन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू किया या फिर नरेंद्र मोदी? क्योंकि दोनों के मायने अलग-अलग हैं। क्या इस इंटरव्यू माध्यम से वो नरेंद्र मोदी का लोकसभा चुनाव में प्रचार करना चाहते हैं?
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पीएम इंटरव्यू के लिए मिले कितने रुपए?
अक्षय कुमार ने जो कमाई के सुपरस्टार माने जाते हैं। बिना फीस लिए वो ना तो कोई शोज करते हैं, और ना ही कोई फिल्म। आपको बता दें कि अलग-अलग जरियों से उनकी कमाई करोड़ों में है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या उन्होंने पीएम मोदी का इंटरव्यू फ्री में किया है।
फिल्म | एंडोर्समेंट | शोज | PM इंरटव्यू |
40-45 करोड़ | 3-50 करोड़ | 227 करोड़ | ? |
आखिर किसने किया फाइनेंस?
इस इंटरव्यू को लेकर एक और बड़ा सवाल सामने आ रहा है? जो अक्षय कुमार साल में चार-पांच फिल्में करते हैं। जिनके लिए वो करोड़ों रुपयों की फीस लेते हैं। अवॉर्ड फंक्शन में परफॉर्मेंस के लिए करोड़ों रुपए चार्ज करते हैं। कई ब्रांड्स का एंडोर्समेंट वो मोटी फीस लेकर करते हैं। ऐसे में उन्होंने इस इंटरव्यू के लिए कितने रुपए लिए। अगर अक्षर कुमार ने इस इंटरव्यू का चार्ज किया है तो इस इंटरव्यू को फाइनेंस किसने किया?
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नरेंद्र मोदी ने अक्षय को ही क्यों चुना?
नरेंद्र मोदी ने अक्षय कुमार का ही चयन क्यों किया? यह बात किसी से छिपी नहीं है कि अक्षय कुमार मौजूदा समय में देश के सबसे पसंदीदा फिल्मी एक्टर हैं। उनकी फिल्मों को देश के हर उम्र का आदमी पसंद कर रहा है। पिछले कुछ सालों से जिस तरह की फिल्में अक्षय कुमार कर रहे हैं उससे भी देश के लोगों में काफी प्यार बढ़ा है। खास बात तो से है कि टॉयलेट: एक प्रेम कथा फिल्म स्वच्छ भारत या यूं कहें कि शौच मुक्त भारत कैंपेन से काफी मिलती जुलती भी थी। कई बार अक्षय को पीएम नरेंद्र मोदी के साथ देखा भी गया है। ऐसे में क्या यही कारण तो नहीं जिसकी वजह से नरेंद्र मोदी ने इस इंटरव्यू के लिए अक्षय को चुना?
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बड़ा स्वाल: किसी अनहोनी की आशंका तो नहीं?
इंटरव्यू को सवालों के घेरे में इसलिए भी रखा जा रहा है आखिर तीन चरणों के बाद नरेंद्र मोदी और बीजेपी को किसी अनहोनी की तो आशंका तो नहीं है? एक बीजेपी नेता ने नाम ना प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि बीते तीन चरणों के मतदान में भाजपा को कोई खास फायदा होता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है। पार्टी और खुद नरेंद्र मोदी को 2014 में जीती सीटें हाथ से खिसकती हुई दिखाई दे रही हैं। वहीं दूसरी ओर पार्टी के विकास और राष्ट्रवाद के मुद्दे को जनता ने नकार दिया है।
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इनके आने से भी उठे सवाल
वहीं दूसरी ओर चुनाव के बीच बीजेपी और नरेंद्र मोदी कुछ ऐसे भी सवालों के घेरे में आ गए हैं, जिनके बारे में एक या दो महीने पहले सोचा भी नहीं गया था। वैसे तो किसी को भी चुनावों के बीच पार्टी में शामिल करना कोई नई बात नहीं है। लेकिन बीजेपी ने दो ऐसी शख्सियतों को चुनावी मैदान में आने का मौका दिया है, जिनके बारे में कभी नहीं सोचा गया था। पहला नाम है साध्वी प्रज्ञा का। जिसे दूसरे चरण के बाद साध्वी प्रज्ञा को न केवल बीजेपी में शामिल किया, बल्कि उन्हें भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह के सामने टिकट दिया गया। वहीं बॉलीवुड के जूनियर ही-मैन यानी सनी देओल को बीजेपी में शामिल किया गया है। सनी देओल गुरदासपुर लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी होंगे।